March 22, 2025
National

बिहार दिवस: 113 वर्षों का ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर

Bihar Day: 113 years of historical importance and cultural heritage

बुद्ध की धरती बिहार आज 113 साल की हो गई है। आज ही के दिन 1912 में बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग होकर बिहार एक अस्तित्व में आया था। बिहार दिवस न केवल राज्य के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक यात्रा का भी प्रतीक है।

22 मार्च 1912 को ब्रिटिश सरकार ने बिहार को बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग कर एक नई प्रेसीडेन्सी का गठन किया। उस वक्त बिहार का क्षेत्रफल बहुत बड़ा था, जिसमें वर्तमान बिहार, झारखंड और ओडिशा के कुछ हिस्से शामिल थे। बिहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा और यहां की धरती ने कई महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक बिहार की धरती से कई महान शख्सियतों ने देश-दुनिया में अपना परचम लहराया। विद्यापति, भगवान बुद्ध और महावीर से बिहार को खास पहचान मिली है। चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। इसके साथ ही, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के सिवान में हुआ था।

बिहार की धरती से रामधारी सिंह दिनकर, बाबा नागार्जुन (बैधनाथ मिश्र यात्री) जैसे महान कवि निकले हैं। गया में दशरथ मांझी जैसे शख्स ने जन्म लिया, जिन्होंने पहाड़ का सीना चीरकर यह संदेश दिया कि इंसान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

इस धरती का इतिहास अत्यधिक गौरवपूर्ण रहा है। पिछले कुछ दशकों में बिहार ने विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और आधारभूत संरचना में सुधार की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। बिहार में सड़कें, पुल, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर योजनाओं का कार्यान्वयन किया गया है।

बिहार सरकार ने राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव किए। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री बालिका योजना, स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं का सुधार और शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई योजनाओं का शुभारंभ किया गया है। इसके परिणामस्वरूप, बिहार में शिक्षित युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

बिहार की सांस्कृतिक धरोहर भी बहुत समृद्ध है। यहां की कला, साहित्य, संगीत और नृत्य शैली भारत की सांस्कृतिक धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बिहार की मगही, भोजपुरी और मैथिली जैसी भाषाएं साहित्यिक धरोहर के रूप में पहचान प्राप्त कर चुकी हैं।

राजगीर, बोधगया, पटना साहिब, वैशाली, और नालंदा जैसे ऐतिहासिक स्थल बिहार के गौरवमयी इतिहास को संजोए हुए हैं। नालंदा विश्वविद्यालय, जो प्राचीन भारत का एक प्रमुख शिक्षण केंद्र था, बिहार का एक अनमोल धरोहर है, जो आज भी विश्वभर के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा, बोधगया में महात्मा बुद्ध का ज्ञान प्राप्त करने का स्थल के रूप में बिहार का विशेष स्थान है।

बिहार दिवस अब केवल एक ऐतिहासिक दिन नहीं, बल्कि राज्य के विकास की दिशा में प्रेरणा लेने का दिन बन गया है। बिहार ने भले ही कई वर्षों तक कई चुनौतियों का सामना किया हो, लेकिन आज यह नए विचारों, नई योजनाओं और नए नेतृत्व के साथ अपने भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

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