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बिहार : समाजवादियों का गढ़ माने जाने वाले बांका में इस बार दिलचस्प लड़ाई

Bihar: Interesting fight this time in Banka, considered a bastion of socialists.

बांका, 16 अप्रैल । बिहार के बांका लोकसभा क्षेत्र में इस लोकसभा चुनाव में लड़ाई दिलचस्प होने की उम्मीद है। ऐतिहासिक और पौराणिक धरती के रूप में पहचाने जाने वाले बांका की धरती समजवादियो की गढ़ मानी जाती रही है। मधु लिमये जैसे समाजवादी नेता भी इस क्षेत्र का नेतृत्व कर चुके हैं। हालांकि, इस चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है।

मंदार पर्वत के कारण प्रसिद्ध बांका शहर ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इसी मंदार पर्वत से समुद्र मंथन हुआ था। बांका संसदीय क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं, जिनमें सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया, बांका, कटोरिया और बेलहर विधानसभा सीटें आती हैं। धोरैया विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) और कटोरिया विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सुरक्षित है। करीब 17 लाख मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र के मतदाता कभी कांग्रेस को सिर पर बिठाया तो कभी यहां जनसंघ भी मतदाताओं का पसंद बना।

समाजवादी नेताओं ने भी यहां पैठ बनाई, हालांकि समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस को यहां दो बार हार का भी मुंह देखना पड़ा। लोकसभा चुनाव 2019 में यहां त्रिकोणात्मक मुकाबला देखने को मिला था। हालांकि, जदयू के गिरिधारी यादव ने राजद के जय प्रकाश यादव को पराजित कर राजद से यह सीट छीन ली थी। इस सीट पर जदयू को जहां 4,77,788 वोट मिले थे, वहीं राजद के जय प्रकाश 2,77,256 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। निर्दलीय उम्मीदवार पुतुल कुमारी 1,03,729 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।

इस चुनाव में भी एनडीए ने फिर से जदयू के गिरिधारी यादव को प्रत्याशी बनाया है, वहीं महागठबंधन की ओर से राजद ने जय प्रकाश यादव पर भरोसा जताया है। 2014 में राजद के जय प्रकाश नारायण यहां से चुने गए थे, जबकि 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने परचम लहराया था। सिंह के निधन के बाद 2010 में हुए उपचुनाव में पुतुल कुमारी सांसद बनी थीं। दिग्विजय सिंह ने तीन बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले जय प्रकाश यादव और दिग्विजय सिंह केंद्र सरकार में मंत्री बने।

साल 1957 में अस्तित्व में आई बांका लोकसभा सीट के जातीय समीकरण पर गौर करें तो यहां यादव और राजपूत मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। इसके अलावा, ओबीसी और एससी-एसटी जातियों के मतदाता भी हर चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने वालों में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह, उनकी पत्‍नी मनोरमा सिंह, मधु लिमये, जॉर्ज फर्नांडीस, बी.एस. शर्मा का नाम शामिल रहा है।

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