पटना, 27 नवंबर । देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में संपन्न भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) के 43वें संस्करण में बिहार ने अपने शानदार प्रदर्शनी के लिए गोल्ड मेडल जीता है। बुधवार शाम को आयोजित सम्मान समारोह में बिहार के प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी निखिल धनराज निपाणीकर को यह मेडल प्रदान किया गया है। इस दौरान उद्योग विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी और उद्योग निदेशक आलोक रंजन घोष भी मौजूद थे।
मेडल जीतने पर खुशी जाहिर करते हुए वंदना प्रेयसी ने कहा, ” गोल्ड मेडल के माध्यम से हमारे प्रयासों की सराहना के लिए हम आईआईटीएफ के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। पिछले कुछ सालों में बिहार ने अभूतपूर्व प्रगति की है। हम 2047 तक बिहार को एक विकसित राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके अनुरूप इन्वेस्टमेंट-फ्रेंडली पॉलिसी को लागू कर रहे हैं। मुझे यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि बिहार में लगातार निवेश बढ़ रहा है। हम निवेशकों को एक विकसित बिहार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं।”
आलोक रंजन घोष ने कहा, “बिहार को मिला यह सम्मान हमारे लिए काफी उत्साहजनक है। यह 2047 के विकास लक्ष्यों के प्रति हमारे प्रयासों को और मजबूत करेगा। अपने कला और संस्कृति के लिए जाना जाने वाला बिहार आज निवेशकों की भी पहली पसंद बन गया है। राज्य का विकास निवेशकों के लिए नित नए अवसर प्रदान कर रहा है।”
सम्मान से अभिभूत निखिल धनराज निपाणीकर ने कहा, “बिहार को मिला यह सम्मान बिहार की कला, संस्कृति और विरासत के प्रति लोगों के प्रेम तथा देश-विदेश में इसकी ख्याति को दर्शाता है। यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि हम विकसित बिहार 2047 की संकल्पनों को स्पष्ट और बेहतर तरीके प्रस्तुत करने में सफल रहे। बिहार प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है और हमें पूरी आशा है कि यह 2047 के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहेगा।”
उल्लेखनीय है कि रविवार को बिहार के उद्योग एवं पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा ने बिहार मंडप और सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन किया था, जो उस दिन खास आकर्षण का केंद्र था। बिहार इस साल पार्टनर स्टेट था, इसलिए बिहार मंडप को इस मेला के थीम विकसित भारत 2047 के अनुरूप तैयार किया गया था।
बिहार मंडप में कुल मिलाकर 75 स्टॉल थे, जिसमें राज्य के हैंडलूम, खादी, और हस्तकरघा उत्पादों को प्रदर्शित किया गया था। नालंदा की बब्बन बूटी, भागलपुरी रेशम, मिथिला की मधुबनी पेंटिंग, पटना की टिकुली कला और अन्य कलाकृतियों को बिक्री और प्रदर्शन के लिए रखा गया था।
मंडप को बिहार की विशेष सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के थीम के इर्द-गिर्द तैयार किया गया था। प्रवेश द्वार को ‘ सभ्यता द्वार’ के रूप में तैयार किया गया था, जो ‘ विकसित बिहार 2047’ के लोगो से सुसज्जित था। मंडप के केंद्र में बिहार संग्रहालय था।
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