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बिहार सरस मेला : गांधी मैदान में कई राज्यों की लोककला और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी

Bihar Saras Mela: Exhibition of folk art and handicrafts of many states at Gandhi Maidan

पटना, 18 दिसंबर । बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक ही जगह पर कई राज्यों की लोककला और शिल्प कला से लोग रूबरू हो रहे हैं। ग्रामीण परिवेश के डिजाइन में सजा सरस मेला गांव की परंपरा की याद करा रहा है तो महिलाओं के उत्पादों की बिक्री भी जमकर हो रही है।

सरस मेला का आयोजन ग्रामीण शिल्प, उद्यमिता एवं लोक कला को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) ग्रामीण विकास विभाग की ओर से हर वर्ष किया जाता है। इस सरस मेले में नारी सशक्तिकरण की तस्वीर दिख रही है।

परियोजना समन्वयक महुआ राय चौधरी बताती हैं कि बिहार के सभी जिलों के हस्तशिल्प और व्यंजन के साथ ही 25 अन्य राज्यों से आई ग्रामीण महिलाएं और स्वरोजगारी एक दूसरे की भाषा, शिल्प और हुनर से परिचित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि पांच दिनों में 500 से अधिक स्टॉल और ओपेन एरिया में सुसज्जित स्थलों से खरीद -बिक्री का आंकड़ा लगभग पांच करोड़ रुपए है। मेला में मंगलवार को करीब 70 हजार से अधिक लोग आए।

लोक संस्कृति, लोककला, परंपरा, हस्तशिल्प, भाषा, लोकगीत, लोक नृत्य एवं देशी व्यंजनों के साथ ही घर सजावट के समान से लेकर रसोई घर के लिए वस्तुएं, विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी, फुलवारी और घर के लिए विभिन्न प्रकार के पौधे भी मेला में उपलब्ध हैं।

इस मेले में सामाजिक विकास विधा द्वारा सामाजिक समावेशन के तहत दिव्यांगों द्वारा निर्मित अगरबत्ती, मोमबत्ती, लाह की चूड़ियां, कागज और कपड़ों के झोले, मुख्यमंत्री भिक्षाटन निवारण योजना के तहत भिक्षावृत्ति छुड़ाकर आत्मनिर्भर बनाए गए हुनरमंदों के द्वारा निर्मित जूट के पर्स, झोले, टेराकोटा के उत्पाद और अगरबत्ती आदि तथा मुक्ति बाजार के तहत जेलों में बंदियों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प की प्रदर्शनी और बिक्री हो रही है।

26 दिसंबर तक चलने वाले इस मेले में आने वाले लोगों के मनोरंजन के लिये मेला परिसर में लोक कलाकार राज्य के लोक गीत और लोक नृत्य तथा गजल आदि की संगीतमय प्रस्तुति दी जा रही है।

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