विश्वामित्र सेना की ओर से गुरुवार को पटना से ‘सनातन रथ’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह रथ यात्रा राज्य के सभी जिलों में पहुंचेगी और धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का प्रचार करेगी।
विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने हरी झंडी दिखाकर रथयात्रा की शुरुआत की। उन्होंने इसे बिहार के ‘आध्यात्मिक स्वाभिमान के पुनर्जागरण का शंखनाद’ बताया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को आज अपने ही देश में सीमित और पुरातन बताकर उपेक्षित किया जा रहा है, जबकि यही हमारी आत्मा, पहचान और सभ्यता की नींव है।
इस अवसर पर उन्होंने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि बक्सर वही भूमि है जहां भगवान श्रीराम ने धर्म-अधर्म और युद्ध का पहला पाठ सीखा, ताड़का और मारीच जैसे राक्षसों का अंत किया और अहिल्या को मुक्ति दिलाई।
उन्होंने बताया कि विश्वामित्र सेना ने प्रधानमंत्री को 10 सूत्री मांगपत्र सौंपा है, जिसमें बक्सर को ‘बिहार की आध्यात्मिक राजधानी’ घोषित करने, पंचकोशी परिक्रमा के विकास और सनातन तीर्थों को संरक्षित करने की मांग की गई है।
सीतामढ़ी को वैश्विक नारी आध्यात्मिक केंद्र, देव के सूर्य मंदिर को सूर्यधाम सर्किट, गया को अंतरराष्ट्रीय मोक्षधाम तीर्थ, सुल्तानगंज को कांवड़ सेवा केंद्र, कैमूर के मुंडेश्वरी धाम को राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्मारक और वाल्मीकि नगर को आध्यात्मिक-पर्यावरणीय हेरिटेज के रूप में विकसित करने की मांग रखी गई है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि धार्मिक न्यास बोर्ड में केवल प्रशासनिक नियुक्तियां नहीं, बल्कि आचार्य, संत और विद्वान ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, जिससे सनातन धर्म के मूल स्वरूप को संरक्षित किया जा सके। वर्तमान में यह बोर्ड केवल औपचारिक संचालन तक सीमित है।
राजकुमार चौबे ने आगे कहा कि उनकी संस्था न कोई राजनीतिक संगठन है, न किसी दल की शाखा, बल्कि एक सनातन चेतना आधारित संगठन है। इसका उद्देश्य धर्म-संस्कृति का संरक्षण, सामाजिक अन्याय का प्रतिकार, गरीबों की सेवा और युवाओं को सनातन जीवनशैली से जोड़ना है। अब बिहार फिर से आर्यावर्त की राजधानी बनेगा और सनातन रथयात्रा उसका पहला चरण है।
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