पटना, 25 जनवरी । बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजद, जदयू और भाजपा खुद के उनके पदचिन्हों पर चलने का दावा करते हैं। ऐसे में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा कर भाजपा सरकार ने बिहार ही नहीं, देश की सियासत में एक लंबी लकीर खींच दी, जिसे मिटाना अन्य दलों के लिए आसान नहीं है।
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन की सरकार जाति आधारित जनगणना के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाकर बढ़त लेने की तैयारी में थी। लेकिन, भाजपा ने आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने का समर्थन किया और फिर कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर बड़ी लकीर खींच दी है।
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पूर्व और जननायक की जन्मशताब्दी की पूर्व संध्या पर यह घोषणा सधा हुआ बड़ा दांव है। भाजपा के इस सधी चाल की काट किसी भी राजनीतिक दल को नहीं सूझ रहा, जिस कारण कमोबेश बिहार के सभी दलों को इस निर्णय का स्वागत करना पड़ा। जदयू प्रमुख नीतीश कुमार को तो इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना पड़ा। राजद के नेता भी इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं।
भाजपा के नेता और बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि अपराधी, भ्रष्टाचारी एवं वंशवादियों को सत्ता से हटाने के बाद ही भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्व. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर बिहार का गौरव बढ़ाया है। यह सम्मान करोड़ों गरीबों को दिया गया। ठाकुर की सादगी, ईमानदारी, संघर्ष और त्याग से अभिभूत होकर प्रधानमंत्री ने यह उपाधि उन्हें दी है।
उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक संदेश बताते हुए कहा कि दो दशक तक बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय के प्रणेता रहे कर्पूरी ठाकुर, अति पिछड़े समुदाय से आने वाले सर्वसमाज के बीच जननायक के नाम से प्रसिद्ध रहे।
एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इस निर्णय को चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
बहरहाल, भाजपा के नेता इसे चुनाव से नहीं जोड़ने की बात कर रहे हों, लेकिन, इतना तय है कि आने वाले चुनाव में इस निर्णय को भाजपा जरूर भुनाएगी, जिसका काट विरोधियों के लिए आसान नहीं।