2013 में हॉलीवुड अभिनेत्री एंजेलिना जोली ने दुनिया को एक बड़े फैसले से सबको चौंका दिया। उनकी मां (मार्शलीन बर्ट्रेंड) की मृत्यु ओवरी कैंसर से हुई थी। जोली ने टेस्ट कराया और पाया कि उनमें बीआरसीए1 जीन म्यूटेशन है, जो उनके ब्रेस्ट कैंसर के चांस को 87 फीसदी तक बढ़ा रहा था। एंजेलिना ने प्रिवेंटिव डबल मास्टेक्टॉमी (दोनों स्तनों को सर्जरी से हटवाना) करवा लिया।
उस समय कइयों ने उनके फैसले पर सवाल उठाए, लेकिन बाद में हजारों महिलाएं अस्पताल पहुंचीं और टेस्ट कराए। डॉक्टरों का कहना है कि एंजेलिना की इस पहल से ‘जोलि इफेक्ट’ नाम की एक अवेयरनेस लहर उठी, जिसने अनगिनत जिंदगियां बचाईं। रिसर्च बताती है कि उनके बयान के बाद लाखों महिलाओं ने बीआरसीए टेस्ट करवाने शुरू कर दिए।
जोली ने अपने शरीर से जुड़ी बेहद निजी बात का खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स के ओप-एड लेख में किया था। 2013 के इस लेख में उन्होंने एक मां के डर को जाहिर करते हुए लिखा, “मैं यह नहीं चाहती थी कि मेरे बच्चों को बार-बार वही डर महसूस हो जो मैंने अपनी मां के लिए महसूस किया था। मैंने तय किया कि मैं इस डर को कम करने की पूरी कोशिश करूंगी।”
जोली की इस ईमानदार कोशिश की दुनिया कायल हो गई। उन्होंने अपने इसी लेख में आगे लिखा, “मेरे लिए यह लिखना आसान नहीं था। लेकिन अगर यह किसी एक महिला को भी टेस्ट करवाने और अपना जीवन बचाने के लिए प्रेरित कर सके, तो मैं अपने इस कदम को सही मानूंगी।”
स्तन कैंसर का हर निदान व्यक्तिगत होता है। हर निदान के पीछे एक कहानी होती है—साहस, दृढ़ता और आशा की। और जब इससे किसी मशहूर हस्ती का नाम जुड़ जाता है तो आम जन को भी इसकी गंभीरता और भयावहता का एहसास सहज ही हो जाता है। एंजेलिना जोली की ब्रेस्ट कैंसर स्टोरी केवल हॉलीवुड की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए एक बड़ा संदेश बन गई।