मणिपुर में दो दिन पहले नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए बीएसएफ जवान सुनील कुमार (46) का मंगलवार को उनके पैतृक गांव किलोई में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
मंगलवार सुबह जैसे ही तिरंगे में लिपटा सुनील का पार्थिव शरीर विशेष वाहन से गांव पहुंचा, ग्रामीण शहीद के अंतिम दर्शन करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अपने घरों से बाहर निकल आए।
‘शहीद सुनील कुमार अमर रहे’ के नारों के बीच बीएसएफ अधिकारियों ने शहीद के परिवार को तिरंगा सौंपा। एक अधिकारी ने बताया, “सुनील कुमार एक बहादुर सैनिक थे। उनमें देश सेवा का जज्बा कूट-कूट कर भरा था। वह बहुत ही मिलनसार स्वभाव के थे, जिसकी वजह से सभी उनसे प्यार करते थे।”
सुनील करीब 18 साल पहले बीएसएफ में भर्ती हुए थे। कुछ दिन पहले ही वे छुट्टी पर गांव आए थे और किसी ने नहीं सोचा था कि यह उनका आखिरी दौरा होगा।
जवानों की टुकड़ी ने आसमान में गोलियां चलाकर शहीद को अंतिम विदाई दी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
जिला प्रशासन की ओर से रोहतक के उपमंडल मजिस्ट्रेट आशीष कुमार ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। पूर्व मंत्री एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण मूर्ति हुड्डा भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
इस अवसर पर मूर्ति ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलकर उनसे गांव में सुनील की प्रतिमा स्थापित करने का आग्रह करूंगा।”