महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र का आगाज हो चुका है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार 10 मार्च को बजट पेश करेंगे। बजट सत्र से पहले राज्य सरकार ने एक प्री-सेशन मीटिंग की, जिसमें विपक्ष का कोई सदस्य नहीं पहुंचा था। न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए बीजेपी नेता और विधायक राम कदम ने विपक्ष के इस रवैए की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि विधानसभा का सत्र संवाद और मंथन का मंच है, जहां महाराष्ट्र के हितों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं के पास न तो उचित आंकड़े हैं, न ही वे संसद में संवाद के लिए तैयार हैं और अफसोस की बात यह है कि वे मीडिया के सामने बयान देने को ही अपनी प्राथमिकता मानते हैं। कदम ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष के नेता सकारात्मक तरीके से अपनी बातें रखते हैं, तो बीजेपी उनका स्वागत करती है, लेकिन अब तक वे अपने नेता को भी नहीं चुन पाए हैं, जो दर्शाता है कि विपक्ष में आपसी गुटबाजी और राजनीति की स्थिति है।
संजय राउत के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राम कदम ने कहा कि राउत अब त्रिकालदर्शी बन गए हैं, जो बिना तथ्यों के आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा कि राउत के आरोप कभी भी सच नहीं होते और ये केवल मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए होते हैं। कदम ने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन यह स्वतंत्रता जब बिना साक्ष्य के आरोप लगाने में बदले, तो यह राजनीति के लिए गलत है।
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद द्वारा रोहित शर्मा पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर कदम ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमारे क्रिकेट खिलाड़ी हमारे देश का गौरव हैं और कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी राजनीति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भारतीय क्रिकेट टीम से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि इस तरह की टिप्पणियां लाखों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिलों को ठेस पहुंचाती हैं।
वहीं, हरियाणा के रोहतक में कांग्रेस की युवा नेता हिमानी नरवाल के मर्डर केस पर बात करते हुए राम कदम ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा में भाग लेने वाले एक कार्यकर्ता की हत्या बहुत दुखद है। यदि पीड़ित परिवार यह कह रहा है कि कांग्रेस के लोग इस हत्या में शामिल हैं, तो यह कांग्रेस पार्टी की आपसी गुटबाजी को दर्शाता है। कांग्रेस को अपनी राजनीति से हटकर इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
तमिलनाडु सरकार द्वारा हिंदी भाषा के विरोध के संबंध में राम कदम ने कहा कि हर व्यक्ति की मातृभाषा का सम्मान होना चाहिए, लेकिन एक देश एक भाषा की आवश्यकता भी है। एक राष्ट्रीय भाषा होने से पूरे देश में संवाद का माध्यम सरल होगा और यह राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देगा।