टोरंटो, बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही ज्यादती के खिलाफ टोरंटो में विरोध प्रदर्शन किया गया। कनाडाई हिंदुओं ने बांग्लादेश की सरकार से हिंसा पर रोक लगा शांति बहाली की अपील की है। लेकिन, बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो अत्याचार की घटनाएं बढ़ ही रही हैं। बुधवार को कनाडाई हिंदू समुदाय ने बांग्लादेशी वाणिज्य दूतावास के बाहर एकत्र होकर धरना प्रदर्शन किया।
कनाडाई हिंदू वालंटियर्स द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोग एकत्रित हुए। सभी ने इस दौरान कहा है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। सभी ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ वैश्विक हस्तक्षेप का आह्वान किया।
प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख, मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर हिंदुओं के खिलाफ व्यापक हिंसा और भेदभाव फैलाने का आरोप लगाया।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार, हिन्दू मंदिरों में तोड़फोड़, मंदिरों के पुजारियों की क्रूर हत्याओं समेत हिन्दू नेताओं को अन्यायपूर्ण तरीके से कैद किए जाने पर नाराजगी जाहिर की।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी दावा किया है कि बांग्लादेश में हिंदू लोगों को व्यवस्थित रूप से उनकी नौकरियों से हटाया जा रहा है, उनके परिवारों को लूटा जा रहा है और महिलाओं को यौन हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। यह सब बांग्लादेश से हिंदू संस्कृति, आस्था और पहचान को मिटाने के लिए एक सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।
कनाडाई हिंदू स्वयंसेवकों ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी बहुत ही चौंकाने वाली है। पोस्ट में कहा गया, “यह सिर्फ एक संकट नहीं है, यह मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर एक संगठित और जानबूझकर किया गया हमला है। वैश्विक समुदाय को अब कार्रवाई करनी चाहिए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।”
प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले लोगों ने कार्रवाई की सख्त जरूरत पर जोर दिया और कनाडा के लोगों से आग्रह किया कि वे अपने निर्वाचित अधिकारियों पर संसद में इस मुद्दे को उठाने और बांग्लादेशी शासन के खिलाफ कूटनीतिक उपायों की मांग करने के लिए दबाव डालें।
प्रदर्शनकारियों ने न्याय के लिए भावुक अपील करते हुए कहा कि चुप्पी का मतलब मिलीभगत है। कैनेडियन हिंदू वालंटियर्स ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “यह सिर्फ बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के बारे में नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर में मानवीय सम्मान और स्वतंत्रता के सिद्धांतों की रक्षा के बारे में है।”
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