पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के प्लांट पैथोलॉजी विभाग ने इंडियन सोसाइटी ऑफ प्लांट पैथोलॉजिस्ट्स (आईएनएसओपीपी) के सहयोग से 03 मार्च, 2025 को “प्लांट पैथोजेन डायग्नोस्टिक्स में इलुमिना और नैनोपोर सीक्वेंसिंग टेक्नोलॉजीज की उभरती भूमिका” पर एक अत्यधिक जानकारीपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया।
डॉ. हरविंदर बेनीपॉल, सेंटर फॉर प्लांट हेल्थ, सिडनी, बी.सी., कनाडा के अनुसंधान वैज्ञानिक तथा प्लांट पैथोलॉजी विभाग के पूर्व छात्र, विशिष्ट वक्ता थे।
उक्त क्षेत्र के प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉ. बेनीपॉल ने आधुनिक अनुक्रमण प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से इल्युमिना और नैनोपोर, पर चर्चा की और बताया कि किस प्रकार ये पौधों की बीमारियों के निदान में क्रांति ला रही हैं।
उन्होंने बताया कि ये उन्नत तकनीकें वायरस, फाइटोप्लाज्मा और अन्य विनाशकारी रोगजनकों सहित विभिन्न पादप रोगजनकों का तेजी से और सटीक पता लगाने में सक्षम बनाती हैं।
व्याख्यान में इन प्रौद्योगिकियों की क्षमता पर जोर दिया गया, जिससे वे तीव्र नैदानिक उपकरण उपलब्ध कराकर पौध रोग विज्ञान अनुसंधान में बदलाव ला सकती हैं, जो वैश्विक स्तर पर पौध स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए आवश्यक है।
व्याख्यान के दौरान चर्चा किए गए प्रमुख बिंदुओं में से एक यह था कि किस प्रकार ये अनुक्रमण विधियां नए क्षेत्रों में विदेशी कीटों के प्रवेश को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं।
डॉ. बेनीपॉल ने इस बात पर जोर दिया कि आक्रामक पौधों की बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए रोगज़नक़ों का शीघ्र और सटीक पता लगाना महत्वपूर्ण है, अन्यथा इनका कृषि और जैव विविधता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
व्याख्यान में शोधकर्ताओं, पादप स्वास्थ्य पेशेवरों और कृषि नीति निर्माताओं के लिए इन अनुक्रमण प्रौद्योगिकियों के व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बारे में बहुमूल्य जानकारी भी प्रदान की गई।
प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख और आईएनएसओपीपी के उपाध्यक्ष डॉ. पीएस संधू ने डॉ. बेनीपॉल को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और प्लांट पैथोलॉजी के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों की सराहना की।
डॉ. संधू ने डॉ. बेनीपॉल के पीएयू के साथ लंबे समय से चले आ रहे सहयोग की भी सराहना की। इस कार्यक्रम में प्लांट पैथोलॉजी, एंटोमोलॉजी, प्लांट ब्रीडिंग और बायोटेक्नोलॉजी विषयों के छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
Leave feedback about this