पुलिस ने 17.59 करोड़ रुपये के चावल के कथित गबन के लिए चार मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मिलें 2023-24 के लिए कस्टम-मिलिंग राइस (सीएमआर) नीति के तहत चावल देने में विफल रहीं।
जिला प्रशासन की जांच में पाया गया कि मिलों में चावल का स्टॉक गायब था। एक मामले में तो बिना कागजातों के सत्यापन के ही मिल को धान आवंटित कर दिया गया, जो फर्जी पाए गए। हैफेड डीएम ने कागजातों का सत्यापन करने वाले और मिल को धान आवंटित करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा है।
आरोपियों में मिल मालिक और उनके गारंटर समेत 17 लोग शामिल हैं। हैफेड अधिकारियों की शिकायत पर तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं, जबकि एक एफआईआर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के चावल के गबन के संबंध में दर्ज की गई है।
एसपी गंगा राम पुनिया ने कहा, “हमने धोखाधड़ी के लिए चार मिल मालिकों और उनके गारंटरों के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज की हैं। तीन एफआईआर हैफेड से संबंधित हैं जबकि एक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से संबंधित है। हमने सभी चार मामलों में जांच शुरू कर दी है।”
अमित कुमार, डीएम (हाफेड) ने कहा कि घरौंदा की एक मिल को अधूरे दस्तावेज के बावजूद धान आवंटित किया गया। कथित तौर पर मिल मालिकों द्वारा झूठे कागजात पेश किए गए और आश्चर्यजनक रूप से कर्मचारियों और अधिकारियों ने फिर भी मिल को धान आवंटित कर दिया।
घरौंडा पुलिस ने मिल के मालिक मोहित कुमार और कुछ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मिल को 49,444.13 क्विंटल धान आवंटित किया गया था, लेकिन वह 2.66 करोड़ रुपये का चावल देने में विफल रही।
जुंडला स्थित एक मिल से संबंधित दिनेश, निर्मल और अन्य के खिलाफ सदर पुलिस थाने में एक अन्य मामला दर्ज किया गया है, जिसे 22,353.38 क्विंटल धान का आवंटन प्राप्त हुआ था, लेकिन वह 1.26 करोड़ रुपये मूल्य का चावल वापस करने में विफल रही।
फूसगढ़ की एक मिल के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया है, जिसे 39,798.38 क्विंटल धान आवंटित किया गया था, लेकिन उसने 3.30 करोड़ रुपये का चावल वितरित नहीं किया।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की शिकायत के बाद सरस्वती एग्रो फूड्स, करनाल और उसके साझेदार विपिन व रुचि के अलावा उनके गारंटर अनिल कुमार और सुशील कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मिल को 49,983.75 क्विंटल धान आवंटित किया गया था, लेकिन यह 10.34 करोड़ रुपये का चावल देने में विफल रही।
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