December 27, 2025
National

कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआई

CBI approaches Supreme Court against Delhi High Court order suspending Kuldeep Singh Sengar’s sentence

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित करने और उन्हें जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में दिल्ली उच्च न्यायालय के 23 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कुलदीप सिंह सेंगर की अपील लंबित रहने के दौरान उनकी सजा निलंबित करने की अर्जी स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दी गई थी।

इससे पहले यह जानकारी सामने आई थी कि सीबीआई और पीड़िता का परिवार, दोनों ही दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी में हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सीबीआई ने सेंगर की याचिका का कड़ा विरोध किया था और अपराध की गंभीरता तथा इससे जुड़े संभावित जोखिमों को रेखांकित किया था।

मंगलवार को पारित आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया और कड़ी शर्तों के साथ उन्हें सशर्त जमानत दे दी थी। हालांकि, दुष्कर्म मामले में जमानत मिलने के बावजूद सेंगर की तत्काल रिहाई की संभावना कम है, क्योंकि वह पीड़िता के पिता की मौत से जुड़े अन्य मामलों में अलग सजा काट रहे हैं।

उन्नाव दुष्कर्म मामले ने देशभर में भारी आक्रोश पैदा किया था।

दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उसके कारावास की सजा सुनाई थी, साथ ही 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इस घटना से जुड़े सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था और मुकदमे की रोजाना सुनवाई के निर्देश दिए थे।

इस बीच, शुक्रवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कुलदीप सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित किए जाने के विरोध में दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर प्रदर्शन किया। नारेबाजी करते हुए और तख्तियां हाथ में लेकर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जमानत के इस आदेश ने जनता के विश्वास को झकझोर दिया है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर गलत संदेश दिया है।

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