नई दिल्ली, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को डीएचएफएल और उसके शीर्ष अधिकारियों से जुड़े 36,615 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में अजय रमेश नवांदर को गिरफ्तार किया।
सीबीआई ने शुक्रवार को इस संबंध में तलाशी ली थी, जिसमें उन्हें बड़ी संख्या में पेंटिंग और मूर्तियां बरामद हुई थीं, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 40 करोड़ रुपये है।
बुधवार को गिरफ्तार किए गए नवांदर और रेबेका दीवान के परिसरों पर सीबीआई ने छापेमारी की।
सीबीआई के एक सूत्र ने कहा कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, नरीमन पॉइंट, मुंबई के डीजीएम और शाखा प्रमुख विपिन कुमार शुक्ला ने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की है।
यह आरोप लगाया गया था कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल), इसके पूर्व सीएमडी कपिल वधावन, पूर्व निदेशक धीरज वधावन और अन्य आरोपी व्यक्तियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के एक संघ को धोखा देने के लिए एक आपराधिक साजिश में प्रवेश किया।
सीबीआई ने जांच के बाद आईपीसी की धारा 120-बी के साथ 409, 420, 477-ए और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) के साथ पठित धारा 13 (2) के तहत मामला दर्ज किया।
अधिकारी ने कहा कि यह पाया गया है कि प्रमोटरों ने कथित तौर पर फंड को डायवर्ट किया था और विभिन्न संस्थाओं में निवेश किया था।
यह भी आरोप लगाया गया था कि प्रमोटरों ने डायवर्ट किए गए फंड का उपयोग करके लगभग 55 करोड़ रुपये की महंगी पेंटिंग और मूर्तियां हासिल की थीं।
इससे पहले, 22 जून को मुंबई में 12 स्थानों पर आरोपियों के परिसरों में तलाशी ली गई थी, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए थे।