लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को एक बड़े घोटाले के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को 10 वर्ष की कठोर कारावास और कुल 55,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। यह मामला संपूरक ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) में एक करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी से संबंधित था।
सजा पाए आरोपियों में तत्कालीन ग्राम प्रधान सत्य नारायण प्रसाद पटेल और उस समय के कोटेदार शाहनवाज आलम शामिल हैं। अदालत ने माना कि दोनों ने सरकारी खजाने को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया और गलत तरीके से लाभ कमाया।
सीबीआई ने यह मामला 31 अक्टूबर 2008 को दर्ज किया था। यह केस पुलिस स्टेशन नरही, जिला बलिया के केस क्राइम संख्या 34/2006 को अपने हाथ में लेने के बाद शुरू हुआ। जांच के दौरान यह सामने आया कि कुल 172 आरोपियों पर सरकारी खजाने को 65 लाख रुपए नकद और 45.26 लाख रुपए मूल्य के खाद्यान्न का नुकसान पहुंचाने का आरोप था।
आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी और जालसाजी के माध्यम से स्वयं को अनुचित लाभ पहुंचाया था। लंबी जांच के बाद सीबीआई ने 10 नवंबर 2010 को तीन व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इनमें जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए), बलिया के तत्कालीन मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी सत्येंद्र सिंह गंगवार, पूर्व ग्राम प्रधान सत्य नारायण प्रसाद पटेल और कोटेदार शाहनवाज आलम शामिल थे।
मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद अदालत ने पटेल और आलम को दोषी करार देते हुए कठोर सजा सुनाई। वहीं, सबूतों के अभाव में अदालत ने सत्येंद्र सिंह गंगवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया। यह फैसला ग्रामीण विकास योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सीबीआई का कहना है कि वह इस तरह के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में सख्त कार्रवाई जारी रखेगी ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच सके।
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