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सीबीआई अदालत ने 32 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में कस्टम इंस्पेक्टर समेत दो को 5 साल की सजा सुनाई

CBI court sentences two, including a customs inspector, to five years in jail in a Rs 32 crore fraud case

सीबीआई अदालत ने 32 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में कस्टम इंस्पेक्टर समेत दो व्यक्तियों को दोषी ठहराते हुए 5 साल जेल की सजा सुनाई है। मामले में कोर्ट ने बालाजी जनरल ट्रेडिंग कंपनी को भी दोषी पाया। इसके साथ ही, तीनों पर 5.53 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को फैसले के बारे में जानकारी दी।

यह मामला 20 साल पुराना है। सीबीआई ने इस मामले को 30 अगस्त 2005 को दर्ज किया था। आरोप था कि निजी व्यक्ति, पोलाकी जानकीराम ने दूसरे साथी के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश रची। इसके लिए जानकीराम ने अपना नाम बदलकर ‘पल्ला केशव राव’ रखा और फिर श्री बालाजी जनरल ट्रेडिंग कंपनी बनाई। इसके बाद, जानकीराम ने केशव राव के नाम से फर्जी हस्ताक्षर करके विशाखापत्तनम विशेष आर्थिक क्षेत्र (वीएसईजेड) से ट्रेडिंग लाइसेंस और आयात-निर्यात कोड हासिल किया। इसके साथ ही, सीमा शुल्क अधिनियम के तहत परिसर को वेयरहाउसिंग स्टेशन घोषित करने के लिए आवेदन किया।

आरोपों के अनुसार, पी. ​​जानकीराम ने केशव राव बनकर मालीगांव की तीन फर्मों से शुल्क मुक्त सामग्री खरीदी। इसके बाद उसने आरोपी कस्टम इंस्पेक्टर कालका रामदास और अन्य के साथ साजिश रचकर आयात-निर्यात नीति दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया। उन्होंने इन सामग्रियों को मुंबई की फर्मों को एडवांस रिलीज ऑर्डर (एआरओ) के जरिए धोखाधड़ी से निर्यात के रूप में मंजूरी दी और इस तरह खरीदी गई सामग्री पर 32.28 करोड़ रुपए के उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क की धोखाधड़ी हुई।

जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 29 अगस्त 2008 को मामले में चार्जशीट दाखिल किया। चार्जशीट के समय आरोपी कालका रामदास (कस्टम इंस्पेक्टर) विशाखापत्तनम में सहायक आयुक्त, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क कार्यालय में अधीक्षक थे। लंबी सुनवाई के बाद, कोर्ट ने इन आरोपियों को दोषी ठहराया और सजा सुनाई।

अदालत के फैसले के बाद, दोषियों कालका रामदास और पोलाकी जानकीराम को विशाखापत्तनम सेंट्रल जेल भेज दिया गया।

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