केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अंतर्राष्ट्रीय साइबर अपराधों पर कार्रवाई करते हुए डिजिटल अरेस्ट साइबर धोखाधड़ी मामले में 13 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। देश में तेजी से बढ़ रहे ऐसे मामलों को देखते हुए यह केस सीबीआई ने स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज किया था। इस मामले में देशभर से सामने आए डिजिटल अरेस्ट जैसे दस गंभीर मामलों की विस्तृत जांच की गई, जिनमें पीड़ितों को डराकर ऑनलाइन माध्यम से पैसे वसूलने की कोशिश की गई थी।
सीबीआई ने अक्टूबर में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, केरल और पश्चिम बंगाल में एक व्यापक तलाशी अभियान चलाया था। इन छापों के दौरान एजेंसी ने बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वित्तीय रिकॉर्ड और अन्य डिजिटल सबूत बरामद किए। सबूतों के आधार पर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जो अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
इसके बाद जांच में सामने आया कि इस साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क से जुड़े 15,000 से अधिक आईपी पतों का इस्तेमाल किया गया था। तकनीकी विश्लेषण से पता चला कि पीड़ितों से वसूले गए पैसों को संचालित करने वाले कई प्रमुख बैंक खातों पर कंबोडिया, हांगकांग और चीन में बैठे मास्टरमाइंड का नियंत्रण था। जांच में एक और गंभीर पहलू सामने आया कि म्यांमार और उसके आसपास के क्षेत्रों में बने परिसरों को डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी का प्रमुख केंद्र पाया गया। यहां ले जाए गए कई भारतीय नागरिकों को जबरन कॉल सेंटर में काम करवाकर साइबर क्राइम में शामिल किया जाता था।
सीबीआई के अनुसार, कई सबूतों के आधार पर आईपीसी और आईटी अधिनियम के तहत निर्धारित 60 दिनों की अवधि में 13 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। एजेंसी अब भी अन्य साजिशकर्ताओं, मनी-म्यूल हैंडलरों और विदेशी नेटवर्क की पहचान के लिए जांच जारी रखे हुए है। जो लोग भी इसमें शामिल हैं, उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
सीबीआई के अनुसार जांच में पता चला है कि कुछ लोग विदेश में भी बैठकर इस गिरोह में काम कर रहे हैं। जितने भी आईपी पते मिल रहे हैं, सबकी जांच की जा रही है और जल्द ही सभी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

