केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने पंजाब के गिरफ्तार और निलंबित डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के बिचौलिए कृष्णु शारदा द्वारा कथित तौर पर चलाए जा रहे एक विशाल “फिक्सर नेटवर्क” का पर्दाफाश किया है, जिससे वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के साथ-साथ राजनीतिक सहयोगियों के साथ उसके गहरे संबंध उजागर हुए हैं। इस चौंकाने वाले खुलासे ने पंजाब के सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी है। भुल्लर और शारदा दोनों को 16 अक्टूबर को चंडीगढ़ में 5 लाख रुपये के रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
चंडीगढ़ में विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष प्रस्तुत सीबीआई की नवीनतम प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी को शारदा के जब्त मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से व्यापक डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, जिससे “कई वरिष्ठ लोक सेवकों से जुड़े भ्रष्ट लेन-देन” में एक माध्यम के रूप में उनकी भूमिका का पता चलता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़े जांच को प्रभावित करने, स्थानांतरण और पोस्टिंग कराने, शस्त्र लाइसेंस दिलाने में मदद करने और यहां तक कि एफआईआर के पंजीकरण और रद्दीकरण में हेरफेर करने में उनकी प्रत्यक्ष संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।
अदालत ने शारदा की पुलिस हिरासत को नौ दिन की पूर्व रिमांड के बाद चार दिन के लिए बढ़ाते हुए कहा कि सीबीआई को “ऐसे ठोस सबूत मिले हैं” जिनसे पता चलता है कि उसने पिछले दो वर्षों के दौरान अपने और अपनी पत्नी हनी शर्मा के नाम पर भारी मात्रा में सोने के आभूषण, पर्याप्त नकदी जमा और संपत्ति अर्जित की है, जो भ्रष्टाचार की ओर स्पष्ट संकेत देता है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश भावना जैन ने अपने आदेश में कहा, “यदि कोई व्यापक साजिश है तो उसका पता लगाने के लिए अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए उनसे आगे पूछताछ आवश्यक है।” सीबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि एजेंसी अब शारदा से उसके उपकरणों से निकाले गए डिजिटल डेटा के बारे में पूछताछ कर रही है और भुल्लर से भी पूछताछ कर रही है, जो 1 नवंबर से सीबीआई की हिरासत में है।
दोनों से प्रतिदिन आमने-सामने पूछताछ की जा रही है ताकि वित्तीय सुरागों और नेटवर्क से नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और निजी खिलाड़ियों से जुड़ी बातचीत को जोड़ा जा सके। जांचकर्ताओं का मानना है कि अब तक के साक्ष्य केवल “भ्रष्टाचार के प्रणालीगत जाल” की सतह को ही खरोंचते हैं।
सीबीआई ने कथित तौर पर पंजाब के 50 से ज़्यादा वरिष्ठ नौकरशाहों और अधिकारियों की एक सूची तैयार की है जिनके नाम शारदा से लगातार पूछताछ के दौरान सामने आए हैं। एजेंसी का दावा है कि उनके संवाद से पोस्टिंग, सुरक्षा और नीतिगत हेरफेर के बदले “लेन-देन संबंधी पक्षपात” का एक पैटर्न दिखाई देता है। जाँच में जौहरियों के ज़रिए महंगे सोने के आभूषण और अन्य विलासिता की संपत्तियाँ खरीदने का भी पता चला है, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर रिश्वत के पैसे को सफेद करने के लिए किया गया था।


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