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चंपई सोरेन का छलका दर्द, बोले- सीएम के रूप में थोड़ा और समय मिलता तो कई काम करता

Champai Soren expressed his pain, said - If I had got a little more time as CM, I would have done many things.

सरायकेला, 6 जुलाई । झारखंड के सीएम पद से हटने पर चंपई सोरेन का ‘दर्द’ छलक पड़ा है। सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सरायकेला पहुंचे चंपई सोरेन ने कहा कि उन्हें थोड़ा और समय मिलता तो राज्य के विकास के लिए और भी बहुत कुछ करने की इच्छा थी।

मीडिया से बात करते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि काम करने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाएं कभी पूरी नहीं होतीं। मैंने सीएम के रूप में अच्छा काम करने का प्रयास किया। हमने सभी जाति, समुदाय के लोगों के लिए कई तरह की योजनाएं लाईं। मैं कम समय में जितना काम कर पाया, उससे संतुष्ट हूं।

शिक्षक बहाली, पुलिस विभाग में भर्ती, जनजातीय भाषाओं पर आधारित शिक्षकों की भर्ती और मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की। 21 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये की आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री माई-कुई (बहन-बेटी) योजना शुरू की। 200 यूनिट बिजली मुफ्त करने का फैसला लिया। इसका लाभ आम जनता को मिलेगा।

चंपई सोरेन ने कहा कि उन्होंने हर विभाग में काम के लिए कैलेंडर बनाया। शेड्यूल के अनुसार मैंने खुद काम किया। जनजातीय भाषाओं के शिक्षकों की बहाली शुरू की, लेकिन इसका अफसोस है कि उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं बांट पाया। जनजातीय भाषा साहित्य अकादमी के गठन की प्रक्रिया भी शुरू की। हमने ज्यादातर योजनाएं पटरी पर ला दी हैं। हमने जातीय जनगणना का निर्णय लिया और यह भी तय कर दिया कि कौन सा विभाग यह काम करेगा।

उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद जिस तरह विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ।

पूर्व सीएम ने कहा कि पार्टी और संगठन में जो भी निर्णय लिया जाता है, उसे मानना पड़ता है। मेरे बारे में जो भी निर्णय लिया गया है, उसके अनुसार काम करूंगा। पद पर रहूं या न रहूं, जनता की सेवा करता रहूंगा।

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