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चंडीगढ़, पंजाब विश्वविद्यालय के मुद्दे विधानसभा के विशेष सत्र में गूंजे

Chandigarh, Punjab University issues raised in special Assembly session

चंडीगढ़ और पंजाब विश्वविद्यालय का मुद्दा सोमवार को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में गूंजा और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसी को भी यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि राज्य अपने अधिकारों को छोड़ देगा।

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने ज़ोर देकर कहा कि पंजाबियों को राज्य के अधिकारों की खातिर एकजुट होना चाहिए। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की कृषि, शिक्षा व्यवस्था और नदी जल को कमज़ोर करने की कोशिशें की जा रही हैं, साथ ही हाल ही में राजधानी चंडीगढ़ पर राज्य के दावे को भी चुनौती दी गई है।

पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहीदी जयंती के उपलक्ष्य में यहाँ बुलाया गया था। यह पहली बार था कि विधानसभा का सत्र राज्य की राजधानी से बाहर आयोजित किया गया। सत्र के दौरान, सीएम मान ने गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि नौवें सिख गुरु ने मानवता के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, जो दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है।

पंजाब से जुड़े मुद्दे उठाते हुए मान ने कहा, “जो लोग सोचते हैं कि पंजाब अपने अधिकार छोड़ देगा या पंजाब उनकी तरफ़ से आँखें मूंद लेगा, यह उनकी ग़लतफ़हमी होगी। चाहे पंजाब विश्वविद्यालय हो, चंडीगढ़ हो, पंजाब के नदियों का पानी हो, पंजाब अपने अधिकार नहीं छोड़ता। पंजाब उन्हें लेना जानता है।”

उन्होंने कहा, “ऐसा कभी मत सोचना कि हम झुकेंगे। अगर कोई दबाव डालने की कोशिश करेगा तो पंजाब पलटवार करेगा।”

सत्तारूढ़ आप, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा नीत केंद्र पर निशाना साधते हुए उस पर पंजाब से चंडीगढ़ छीनने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने केंद्र के उस प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसमें राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश के लिए नियर सीधे कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।

हालांकि, प्रस्ताव पर राजनीतिक आक्रोश के बाद केंद्र ने रविवार को स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ के प्रशासन पर कोई विधेयक पेश करने का उसका कोई इरादा नहीं है। साथ ही आश्वासन दिया कि प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे में बदलाव करने का प्रयास नहीं करता है।

इससे पहले, पंजाब विश्वविद्यालय की शासी निकायों – सीनेट और सिंडिकेट – के पुनर्गठन के कदम को लेकर केंद्र सरकार पंजाब के राजनीतिक दलों की आलोचना का शिकार हुई थी। लेकिन बाद में उसने अपना फैसला वापस ले लिया। विपक्ष के नेता बाजवा ने भी चंडीगढ़, पंजाब विश्वविद्यालय, लंबित ग्रामीण विकास निधि और जल बंटवारे का मुद्दा उठाया और कहा कि सभी पंजाबियों को राज्य के अधिकारों के लिए एकजुट होना चाहिए।

भाजपा नीत केंद्र सरकार पर परोक्ष हमला करते हुए बाजवा ने कहा कि “इतिहास को फिर से लिखने” की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “देश के मौजूदा शासक” की सोच मुगलों और अंग्रेजों जैसी है।

उन्होंने कहा, “हमारे इतिहास को फिर से लिखने की कोशिशें हो रही हैं। हमें सतर्क रहने की ज़रूरत है। आप देख रहे हैं कि हर दिन पंजाब के धैर्य की परीक्षा हो रही है।”

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