June 23, 2024
Chandigarh

चंडीगढ़: पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्राधिकरण वैनिटी नंबर बोलीदाताओं से 67.15 लाख रुपये वसूलने में विफल रहा

विशेष/फैंसी पंजीकरण नंबरों पर कई सफल बोलीदाताओं से शुल्क वसूलने में असमर्थ, पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्राधिकरण (आरएलए) ने ई-नीलामी के नियमों और शर्तों में संशोधन करने की योजना बनाई है।

अपनी रिपोर्ट में, चंडीगढ़ के प्रधान निदेशक (केंद्रीय) ने बताया है कि आरएलए वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक ई-नीलामी के माध्यम से आवंटित विशेष/फैंसी पंजीकरण संख्या की फीस के साथ-साथ ब्याज और जुर्माना राशि 67.15 लाख रुपये वसूलने में विफल रहा है।

वर्ष 2022-23 के लिए आरएलए के रिकॉर्ड की जांच के दौरान, यह पाया गया कि कई सफल बोलीदाताओं ने केवल आरक्षित बोली राशि ही जमा की थी तथा शेष भुगतान को निर्धारित समय से 365 दिन से 619 दिन के बीच विलंबित कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व की हानि हुई।

लेखापरीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि संबंधित अधिनियम में विशेष/फैंसी नंबर जारी करने के लिए निर्धारित समय-सीमा के संबंध में प्रावधान न किए जाने के परिणामस्वरूप न केवल आम जनता को विशेष/फैंसी नंबर आवंटित नहीं किए गए, बल्कि 67.15 लाख रुपये का नुकसान भी हुआ।

लेखापरीक्षा में इस ओर ध्यान दिलाए जाने पर विभाग ने अपने उत्तर में कहा कि मामला सक्रियता से विचाराधीन है तथा वे ई-नीलामी की शर्तों व नियमों में संशोधन पर विचार कर रहे हैं।

चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा प्रत्येक विशेष नंबर के लिए गैर-परिवहन वाहनों का आरक्षित मूल्य निर्धारित किया गया है। ऑनलाइन/ई-नीलामी की शर्तों के अनुसार, सफल बोलीदाता को नीलामी की तिथि से एक महीने के भीतर वाहन का पंजीकरण करवाना होगा तथा शेष बोली राशि जमा करानी होगी, अन्यथा 10% प्रति वर्ष की दर से जुर्माना तथा भुगतान की तिथि तक शेष राशि पर 10% प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना होगा। यदि नीलामी के बाद उच्चतम बोलीदाता किसी कारण से नंबर लेने में असमर्थ रहता है, तो उसके द्वारा जमा की गई राशि जब्त कर ली जाएगी।

लेखापरीक्षा विभाग ने आगे पाया कि सरकार द्वारा विभिन्न रसीद काउंटरों पर रखे जाने वाले कर्मचारियों के लिए कोई पद स्वीकृत नहीं किया गया है। विभाग में सभी रसीदें एकत्र करने का काम भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी (आईआरसीएस), चंडीगढ़ से नियुक्त अनुबंध कर्मचारियों के माध्यम से किया जाता है। लेकिन विभाग अनुबंध कर्मचारियों के वेतन के लिए आईआरसीएस को कोई भुगतान नहीं कर रहा था। हालांकि, विभाग ने स्मार्ट कार्ड की छपाई के लिए 2015-16 से आईआरसीएस को 15.48 करोड़ रुपये (2022-23 के दौरान भुगतान किए गए 1.96 करोड़ रुपये सहित) का भुगतान किया है।

इस ओर ध्यान दिलाए जाने पर विभाग ने बताया कि यूटी प्रशासन ने विभिन्न रसीद काउंटरों के लिए कोई पद स्वीकृत नहीं किया है तथा विभाग में सभी रसीदें एकत्रित करने के लिए आईआरसीएस से अनुबंध कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं।

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