9 अक्टूबर को देशभर में करवाचौथ का त्योहार मनाया जाएगा। ये त्योहार खासतौर पर उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में मनाया जाता है।
इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए पत्नियां निर्जला उपवास करती हैं और रात में चांद को देखकर अपना उपवास खोलती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान और उज्जैन में चौथ माता को समर्पित ऐसा मंदिर है, जहां महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेने जाती हैं।
राजस्थान के माधोपुर जिले के चौथ शहर के बरवाड़ा कस्बे में सिद्धपीठ चौथ माता का मंदिर है। ये मंदिर खासतौर पर पति की लंबी आयु के वरदान के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि जो भी महिलाएं चौथ माता का आशीर्वाद लेती हैं, उनके पति की आयु क्षीण नहीं होती। ये मंदिर अरावली पर्वत की पहाड़ियों पर बसा है और मंदिर के प्रांगण तक पहुंचने के लिए भक्तों को लंबी सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है। करवाचौथ के मौके पर इस मंदिर में महिलाओं की भीड़ उमड़ जाती है।
चौथ माता, मां गौरी का दूसरा रूप हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई इच्छा कभी अधूरी नहीं रहती। नवरात्रि के मौके पर भी मंदिर में खास भीड़ रहती है। ये मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण शासक भीम सिंह ने कराया था। मंदिर की बनावट राजस्थान की कला और पुराने पारंपरिक काल को दर्शाती है।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भी मां पार्वती को समर्पित करवा चौथ माता का मंदिर है। ये मंदिर उन्हेल बायपास के पास के जीवनखेड़ी गांव में बना है, लेकिन फिर भी यहां की मान्यता बहुत ज्यादा है। इस मंदिर में मां पार्वती अपनी दोनों बहुएं, ऋद्धि और सिद्धि, के साथ विराजमान हैं, और भगवान गणेश भी साथ हैं। इस मंदिर की खास बात ये है कि ये मंदिर सिर्फ करवाचौथ के दिन ही खुलता है और साल के बाकी दिन बंद रहता है। ये मंदिर डॉ. कैलाश नागवंशी नाम के शख्स ने बनाया है और मंदिर को अपनी मां को समर्पित किया है।