August 9, 2025
National

चेन्नई: पीएमके की महापरिषद बैठक में ‘खाली कुर्सी’, पिता एस रामदास और बेटे अंबुमणि के बीच दरार का संकेत

Chennai: ‘Vacant chair’ at PMK general council meeting, signals rift between father S Ramadoss and son Anbumani

पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) की आम परिषद की बैठक शनिवार को पार्टी अध्यक्ष अंबुमणि रामदास की अध्यक्षता में शुरू हुई। बैठक पर अंबुमणि और उनके पिता और पार्टी के संस्थापक एस. रामदास के बीच चल रही अनबन का असर भी दिखाई दिया।

एक खास संदेश देने के लिए संस्थापक की गैरमौजूदगी के बावजूद मंच के बीच में उनके लिए प्रतीकात्मक रूप से एक खाली कुर्सी रखी गई थी। हाल ही में डॉ. रामदास ने खुद को पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया, जिससे अंबुमणि के नेतृत्व को चुनौती मिली है और पीएमके के बड़े नेताओं के बीच एक दुर्लभ सार्वजनिक विवाद शुरू हो गया है।

प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए अंबुमणि ने पार्टी के अंदर चल रहे तनाव को कम करने की कोशिश की और राजनीतिक लक्ष्यों पर ध्यान देने की बात कही।

उन्होंने सदस्यों से कहा कि इस बैठक में पीएमके के भविष्य को लेकर कई अहम फैसले लिए जाएंगे। साथ ही, उन्होंने पार्टी के मूल उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

अंबुमणि ने कहा, “पीएमके, डॉ. रामदास (जिन्हें सम्मान से मारुथुवर अय्या कहा जाता है) के आदर्शों और रास्ते पर चलते हुए तमिलनाडु के लिए काम करती रहेगी।” उन्होंने अपने पिता के लिए वही सम्मानजनक शब्द इस्तेमाल किया, जो पार्टी कार्यकर्ता आम तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने सदस्यों से अपील की कि वे अपने प्रयासों में एकजुट रहें और जोर दिया कि पार्टी का मकसद किसी भी व्यक्तिगत मतभेद से ज्यादा महत्वपूर्ण है। वन्नियार समुदाय में परंपरागत रूप से प्रभाव रखने वाली यह पार्टी अब नए गठबंधनों की तलाश कर रही है और अपने पारंपरिक वोटबैंक से आगे भी समर्थन बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

पिता और बेटे के बीच मतभेद के चलते पार्टी में टूट की अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन अंबुमणि के समर्थक नेता एकजुटता और अनुशासन दिखाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।

मंच के बीच में रखी गई खाली कुर्सी को सबने एक सुलह का संकेत माना, जो दिखाता है कि अभी भी संस्थापक के साथ रिश्ते बनाए रखने की कोशिश हो रही है, भले ही विवाद चल रहा हो।

राजनीतिक जानकारों ने कहा कि पीएमके को आंतरिक झगड़ों को संभालने की जरूरत है क्योंकि यही उनकी भविष्य की राजनीति तय करेगा।

परिषद की बैठक में पार्टी के राजनीतिक रुख, संगठन में बदलाव और आने वाले चुनाव की रणनीतियों पर निर्णय लेने की उम्मीद है। फिलहाल, मंच पर रखी खाली कुर्सी पीएमके की शुरुआत की याद दिला रही है और पार्टी के भविष्य को लेकर सवाल भी खड़े कर रही है।

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