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अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स की छठी की रस्म अदा

Chhathi rituals of Urs of Khwaja Moinuddin Hasan Chishti performed in Ajmer

अजमेर, 8 जनवरी । ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का सालाना 813वां उर्स मंगलवार को रजब की 6 तारीख को छठी की रस्म के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर दरगाह में विशेष आयोजन किए गए। खादिमों ने जायरीनों और देश के लिए दुआ की।

दरगाह के दीवान, सैयद जैनुअल अली आबेदीन ने दागोल की रस्म अदा की और जन्नती दरवाजे में दाखिल हुए। इसके बाद दरवाजे को बंद कर दिया गया, जो अगले 6 दिनों तक उर्स के दौरान खोला जाता रहेगा।

अजमेर दरगाह प्रमुख ने इस अवसर पर देशवासियों के नाम एक संदेश भी दिया। इस तरह, गरीब नवाज का सालाना उर्स अनौपचारिक रूप से संपन्न हुआ।

अजमेर दरगाह दीवान और आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुअल अली आबेदीन ने इस संबंध में आईएएनएस से बातचीत में कहा कि आज नवाज रहमतुल्लाह अली, जो मेरे जज हजरत बुधवार हैं, उनके 813वें सालगिरह के मौके पर हम सब उनके बताए हुए रास्ते पर चलने का संकल्प लें। हम अपने नाना हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम, अपने दादा हजरत अली रजिअल्लाहो अन्हो और अपने पीर हजरत ख्वाजा उस्मान हारानी रहमतुल्लाह अलेह के दिखाए हुए मार्गदर्शन और तालीमात पर अमल करते हुए दुनिया में इंसानियत का संदेश फैलाएं।

उन्होंने कहा कि जब तक दुनिया, इंसानियत इन तालीमात को मानती रहेगी, वह अपने आप को हर बुराई से बचा पाएगी। लेकिन जब से दुनिया ने इन तालीमात को छोड़ दिया है, वह बुराइयों और समस्याओं में घिरी हुई है। आज के इस कठिन समय में हमें अमन की आवश्यकता है, वह सिर्फ बुजुर्गों और सच्चे पीरों के बताए रास्ते पर चलकर ही पाया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि मेरी आपसे अपील है कि जब भी आप अपने ईमान का इज़हार करें, तो हजरत ख्वाजा नवाज रहमतुल्लाह अलेह के पैगाम पर अमल करें। उनकी सबसे सरल और प्रभावी तालीमों को अपनी जिंदगी में उतारें, क्योंकि यही उनकी श्रद्धा का सबसे बड़ा तरीका होगा। अल्लाह से दुआ है कि वह हमें उनकी तालीमों पर चलने की ताकत दे और हमारे देश को तरक्की और खुशहाली की राह पर डालें।

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