N1Live National मशीन खराब होने से चाईबासा सदर अस्पताल में हुई बच्चों की मौत: राकेश सिन्हा
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मशीन खराब होने से चाईबासा सदर अस्पताल में हुई बच्चों की मौत: राकेश सिन्हा

Children died in Chaibasa Sadar Hospital due to machine failure: Rakesh Sinha

झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के खुलासे के बाद सियासत गरमा गई है। कांग्रेस मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति की है, लेकिन मशीन खराब होने से हादसा हुआ।

कांग्रेस मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, जब से हमारी सरकार आई है, लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार हो रहा है। अधिकारी की लापरवाही से इतनी बड़ी घटना हुई है। सरकार केवल मशीन खरीद कर अस्पताल को देती है, लेकिन उसको सही करने की जिम्मेदारी अस्पताल की है।

उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सख्त कार्रवाई की गई है। इसके लिए सरकार काम कर रही है। जो भी लोग इसमें दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। यहां की मशीन खराब है, इसकी जानकारी सरकार को नहीं थी, जिससे इतनी बड़ी घटना घट गई है। कांग्रेस सरकार कभी भी इतनी बड़ी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करने वाली है।

राकेश सिन्हा ने कहा कि जैसे ही हम लोगों को मामले की जानकारी हुई थी, वैसे ही संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। हमारे मंत्री खुद वहां जाकर हर चीज की समीक्षा करते हैं। हमारी सरकार लगातार कोई भी मामला आने पर कार्रवाई करती है। इसके लिए कमेटी बनाई गई है जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।

बता दें कि 27 अक्टूबर को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के मामले में राज्य में स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर लापरवाही सामने आई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में छह सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। विभाग की विशेष सचिव डॉ. नेहा अरोड़ा को समिति की अध्यक्ष बनाया गया है।

वहीं, झारखंड हाईकोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. दिनेश कुमार के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम ने चाईबासा पहुंचकर ब्लड बैंक, पीकू वार्ड और लैब का निरीक्षण किया था। प्रारंभिक जांच में ब्लड स्क्रीनिंग, रिकॉर्ड रखरखाव और ट्रांसफ्यूजन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं थीं।

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