राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने आरोप लगाया है कि चीन तिब्बत सहित हिमालयी क्षेत्र में बौद्धों की पहचान को कमजोर करने और उनकी संस्कृति को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
कुमार ने दावा किया कि तिब्बत पर कब्जा करने के बाद, चीन उनकी पहचान को कमजोर करने के लिए चीनी युवकों की तिब्बती और हिमालयी बौद्ध लड़कियों के साथ शादी कराने की कोशिश कर रहा है।
वरिष्ठ आरएसएस नेता चीन सीमा से लगे बौद्ध बहुल जनजातीय जिलों लाहौल-स्पीति और किन्नौर के चार दिवसीय दौरे के बाद यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि चीन ने हाल ही में घोषणा की है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी की घोषणा करेगा, जिसका जोरदार विरोध किया जाना चाहिए ताकि यह स्पष्ट संदेश दिया जा सके कि तिब्बती और अन्यत्र रहने वाले बौद्ध लोग अपने धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कुमार ने कहा कि उन्होंने तिब्बती मठों और इलाकों का दौरा किया और लोगों से बातचीत की, विकासात्मक, धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर चर्चा की तथा लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता पर बल दिया।
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बौद्धों और सनातनी हिंदुओं से एकजुट रहने और उन्हें विभाजित करने के प्रयासों को विफल करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरियां भी सेवा और शिक्षा के माध्यम से धर्मांतरण करा रही हैं।
कुमार ने कहा कि तिब्बतियों और हिंदुओं को यह बात समझानी होगी कि धर्म परिवर्तन का मतलब उनकी पहचान में परिवर्तन है।
आरएसएस नेता ने कहा कि भारत सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन क्षेत्रों के तीव्र विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करना चाहिए।