अंतरराष्ट्रीय सरहदों पर सुरक्षा को मज़बूत करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण फ़ैसला लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़बंदी के साथ लगती सरहदी चौकियों (बीओपी) की सुरक्षा के लिए सरहदी इलाकों में बाढ़ सुरक्षा के प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दे दी है, जिस पर 176.29 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
इस संबंध में अपने सरकारी आवास पर राज्य बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को बीएसएफ और सेना से बार-बार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा चौकियों (बीओपी) की सुरक्षा के लिए अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ये स्थल रावी, सतलुज और उझ नदियों के बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि अतीत में राष्ट्रीय महत्व के रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए सीमित राज्य निधि का उपयोग करना पड़ा था।
हालांकि, भगवंत सिंह मान ने कहा कि इन कार्यों के राष्ट्रीय सुरक्षा पहलू को देखते हुए, राज्य सरकार ने राज्य में 28 स्थलों के लिए 176.29 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना की कल्पना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा कार्य बीओपी की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर सीमा पार पहले से ही अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़बंदी और अन्य रक्षा ढांचे स्थापित किए जा चुके हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अब समय की मांग है कि बाढ़ सुरक्षा कार्यों को मजबूत किया जाए ताकि देश की सुरक्षा से समझौता न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में सेना के साथ मिलकर स्थलों की पहचान की गई है और ये स्थल राज्य के अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, पठानकोट और गुरदासपुर जिलों में आएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि 28 स्थलों पर काम किया जाएगा और कहा कि इस परियोजना से 8695.27 हेक्टेयर भूमि को लाभ मिलेगा।
उन्होंने बताया कि 28 स्थलों में से सात फिरोजपुर में, 11 अमृतसर में, तीन तरनतारन में, पांच गुरदासपुर में और दो पठानकोट जिले में हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के तहत तरनतारन जिले में 1788 फुट, फिरोजपुर में 1050 फुट तथा गुरदासपुर में 2875 फुट तटबंध बनाने का प्रस्ताव है।
इसी तरह उन्होंने कहा कि इस परियोजना में 29140 फुट रिवेटमेंट, 22 स्पर्स और 95 स्टड शामिल होंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह परियोजना देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर पंजाब एक सीमावर्ती राज्य होने के मद्देनजर।