November 25, 2024
National

कोचिंग सेंटर हादसा : जिम्मेदारी लेनी होगी, हम इससे भाग नहीं सकते हैं – धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली, 29 जुलाई । यदि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी लागू की गई होती तो कोचिंग सेंटर में ऐसा दुखद हादसा नहीं होता। सोमवार को यह बात राज्यसभा में स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही। उन्होंने दिल्ली के राजेंद्र नगर में हुए हादसे को अत्यंत संवेदनशील और कष्ट देने वाला बताया।

उन्होंने कहा कि हम विश्व में एक नई शक्ति बनकर उभर रहे हैं, ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोई घटना घटती है तो सभी के मन में चिंता होती है। 27 जुलाई को दिल्ली में जो घटना हुई, उस पर हम जितना भी खेद प्रकट करें, पीड़ित परिवारों की भरपाई नहीं हो सकेगी। लापरवाही तो हुई है, किसी न किसी को तो उत्तर देना पड़ेगा, दायित्व लेना पड़ेगा, इस घटना की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम सरकार में हैं, कोचिंग सेंटर के संबंध में कुछ दायित्व हमारा भी बनता है। शिक्षा, राज्य और केंद्र सरकार दोनों का ही विषय है। कोचिंग सेंटर्स की व्यवस्था और प्रबंधन कैसा होना चाहिए, पिछले कई सालों से इस पर चर्चा हो रही है। 2017, 2019, 2020, 2024 में निरंतर रूप से भारत सरकार सभी राज्यों को इस संबंध में मार्गदर्शिका भेजती आ रही है। कोचिंग सेंटर की व्यवस्था कैसी होनी चाहिए, इसको लेकर जानकारी व सुझाव राज्यों को दिए गए हैं। इनमें बताया गया है कि कोचिंग सेंटर का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए, उनका न्यूनतम स्टैंडर्ड रिक्वायरमेंट, निरंतर मॉनिटरिंग, वहां पढ़ने वाले छात्रों के संबंध में क्या-क्या सेफगार्ड होने चाहिए, नियमों का उल्लंघन होने पर पेनाल्टी की व्यवस्था क्या हो।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि बिहार, गोवा, मणिपुर, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश ने कोचिंग सेंटर्स को लेकर अपने-अपने राज्यों की एक व्यवस्था भी बनाई है। जनवरी 2024 में ही हमने सभी राज्यों को कोचिंग सेंटर के संबंध में एक एडवाइजरी भेजी थी। अगर उस एडवाइजरी का सही तरीके से पालन किया गया होता तो शायद (दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित कोचिंग में) आज की यह घटना नहीं होती। जिम्मेदारी लेनी होगी, हम इससे भाग नहीं सकते हैं। दायित्व से भागने से कोई फायदा नहीं होता है।

शिक्षा मंत्री ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि कुछ मित्रों ने यहां भारत की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न उठाए हैं। कोचिंग आखिर होता क्यों है, इस पर भी प्रश्न उठाए हैं। 1835 में अंग्रेजों ने, मैकाले ने, भारतीय सभ्यता को, इस महान देश को, लंबे समय तक गुलामी में रखने के लिए ब्रिटिश संसद में एक बहस की थी। कुछ लोगों के मन में उस मैकाले का भूत अभी भी चढ़ा है। सरकार खुले मन से शिक्षा को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। मनमोहन सिंह की सरकार में 19 मार्च 2010 को कैबिनेट में एक बिल पर फैसला हुआ। उस बिल का नाम ‘प्रोहिबिशन ऑफ अनफेयर प्रैक्टिस इन टेक्निकल एंड मेडिकल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन यूनिवर्सिटी बिल 2010’ है।

धर्मेंद्र प्रधान ने प्रश्न किया कि आखिर तब की सरकार पर क्या दबाव था? किसका दबाव था कि इस बिल को कानून में परिवर्तित नहीं किया गया? हमने अब जाकर कानून बनाया है। कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के आरोपों का जवाब देते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 तक हरियाणा में उनकी सरकार थी। उनकी सरकार में 11 विभिन्न परीक्षाएं हुई थी। न्यायालय द्वारा सभी परीक्षाएं रिजेक्ट हुई थी। राजस्थान पेपर लीक की फैक्ट्री बन गया था।

Leave feedback about this

  • Service