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भूतनाथ मंदिर के शिवलिंग का 21 किग्रा मक्खन से लेप, प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा

Coating of Shivalinga of Bhootnath temple with 21 kg of butter, a tradition going on since ancient times.

हिमाचल प्रदेश के छोटी काशी मंडी के अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ के स्वयंभू शिवलिंग का 21 किलोग्राम मक्खन से लेप किया गया है। यर परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। अब बाबा भूतनाथ महादेव के स्वरूपों में अगले एक महीने तक भक्तों को दर्शन देंगे।

मंडी के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव-2025 की विधिवत रस्में सोमवार देर रात से शुरू हो गई हैं। इसमें अखंड परंपरा का निर्वहन करते हुए तारा रात्रि को बाबा भूतनाथ का मक्खन के लेप से श्रृंगार किया गया। देर रात अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ स्वयंभू शिवलिंग पर अंतिम जलाभिषेक भी किया गया। इसके उपरांत स्वयंभू शिवलिंग पर मक्खन चढ़ाया गया। तारा रात्रि पर संपन्न हुए पहले श्रृंगार में 21 किलोग्राम से अधिक मक्खन से बाबा भूतनाथ का सुंदर श्रृंगार किया गया।

बता दें कि एक माह यानी महाशिवरात्रि महोत्सव तक बाबा भूतनाथ का जलाभिषेक नहीं होगा। इस दौरान प्रतिदिन मक्खन चढ़ाया जाएगा और बाबा भूतनाथ अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देते रहेंगे। महाशिवरात्रि के दिन बाबा भूतनाथ से मक्खन को हटाकर जलाभिषेक दोबारा आरंभ होगा, जो अगले वर्ष तक जारी रहेगा।

बाबा भूतनाथ मठ मंदिर मंडी के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया, “तारा रात्रि के पवित्र समय पर स्वयंभू शिवलिंग बाबा भूतनाथ के घृतमंडल का श्रृंगार मक्खन से किया गया। तारा रात्रि से महाशिवरात्रि पर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके अंतर्गत प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए बाबा भूतनाथ को माखन चढ़ाने का कार्य शुरू हो गया है।”

उन्होंने कहा कि “हर दिन बाबा भूतनाथ को एक महीने तक मक्खन चढ़ाया जाता है और महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व इसे शिवलिंग से उतारा जाता है। इसके उपरांत महाशिवरात्रि पर बाबा भूतनाथ के शिवलिंग का जलाभिषेक कार्यक्रम शुरू होता है। इस बार 21 किलोग्राम मक्खन से शिवलिंग का लेप किया गया है।”

उल्लेखनीय है कि मंडी के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव से एक माह पूर्व बाबा भूतनाथ मंदिर में प्राचीन समय से मक्खन चढ़ाने की परंपरा को कायम रखते हुए हर रोज भगवान शिव के अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाता है। इस प्रकार का श्रृंगार अपने आप में अनूठा है। इसमें प्रतिदिन एक महीने तक बाबा भूतनाथ अपने कई स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं।

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