मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने हाल ही में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। नारायण त्रिपाठी को बीजेपी ने इस बार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी नहीं बनाया और टिकट काट दी। मंगलवार को विधायक त्रिपाठी ने लम्बे काफिले में जनता के बीच मैहर में इंट्री ली। इस दौरान भारी जनसमूह उनके स्वागत में मौजूद रहा। चर्चा थी कि नारायण को कांग्रेस से टिकट मिलेगी लेकिन फिलहाल कांग्रेस का साथ भी उन्हें नहीं मिला है।
नारायण भले ही भाजपा के विधायक रहे हों, लेकिन वो भारतीय जनता पार्टी हो या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, लगातार इनको कठघरे में खड़ा करते रहे और अपने बयानों से सीएम के साथ संगठन को आड़े हाथ लेना विधायक की आदत में बन चुका था। जिस तरह से नारायण ने मैहर में प्रवेश किया है, माना जा रहा है कि यह उनका सियासी शक्ति प्रदर्शन है। नारायण राजनीति में सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श बताते हैं। बता दें कि नारायण पहले कांग्रेस विधायक थे और साल 2014 में वो बीजेपी में शामिल हो गए और विधायकी त्याग दी थी। हालांकि उपचुनाव में फिर से बीजेपी से विधायक बन गए थे।
भाजपा को श्राप दिया, कांग्रेस को इशारा
नारायण त्रिपाठी अपने कारनामों को लेकर लगातार चर्चा में बने रहते हैं। हालांकि नारायण को दल बदलू भी बोला जाता है। वो खुद भी बोले कि मैं तीन दल बदल चुका हूं। उन्होंने भाजपा को घातक बताया और कहा कि भाजपा को श्राप लगेगा, वो जा रही है और कभी वापस नहीं आएगी। कांग्रेसियों को कहा कि वो अपने काम में लगे रहें और मैं अपने काम में हूं। नारायण ने कहा कि जो मैं करता हूं, खुलेआम करता हूं, चोरी छिपे नहीं करता हूं।
बीजेपी को’लाल आंख’ दिखाने वाला शक्ति प्रदर्शन
मैहर विधानसभा से अबकी बार बीजेपी ने नारायण त्रिपाठी को टिकट नहीं दिया, बल्कि उनकी जगह सिंधिया समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। टिकट कटने के बाद नारायण ने 17 अक्टूबर को मैहर में अपना शक्ति प्रदर्शन किया और सैंकड़ों वाहनों के काफिले के साथ वो मैहर पहुंचे। नारायण का काफिला झुकेही से होते हुए मैहर पहुंचा।
बीजेपी ने क्यों कटा टिकट
दरअसल, नारायण साल 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये थे। उप चुनाव में वो दोबारा बीजेपी विधायक से बने। साल 2018 के चुनाव में भी वो मैहर से भाजपा विधायक बने लेकिन लगातार बीजेपी और सीएम शिवराज सिंह को आड़े हाथों लेते रहे। नारायण द्वारा अपनी मांगो को लेकर लगातार सरकार को घेरना, सीएम और भाजपा के कार्यक्रमों से दूरी बनाने के साथ बीजेपी के लिए अलग राग अलापना, इस सबने उन्हें बीजेपी का बागी बना दिया। नारायण भले ही भाजपा विधायक रहे पर बीजेपी को कटघरे में लाते रहे। लिहाज 2023 के चुनाव में भाजपा ने उनसे किनारा कर लिया।
अलग विंध्य प्रदेश की कर रहे मांग
अब तक चार बार मैहर से विधायक बनने वाले नारायण त्रिपाठी और बीजेपी के बीच बड़ी खाई बनने की वजह नारायण का अलग विंध्य प्रदेश बनाने की मांग भी है। इसी को लेकर नारायण लागातार कैंपेन चलाते रहे और बीजेपी से उनकी दूरियां बनती चली गई। नारायण लगातार 2013 से चुनाव जीतकर विधायक बन रहे है।