कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (केयू) के ललित कला विभाग ने शुक्रवार को यहां ‘समकालीन भारतीय कला और वैश्विक कला बाजार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन किया। इस अवसर पर उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा, “कला के क्षेत्र को समकालीन परिप्रेक्ष्य से जोड़कर इसमें रोजगार के असंख्य अवसर हैं।”
प्रोफेसर सचदेवा ने आगे कहा, “हरियाणा के ललित कला कलाकारों को हरियाणा की लोक कला सांझी को लोकप्रिय बनाने के लिए काम करना चाहिए। यह रंगोली और बारीक से बारीक विवरण में पेंटिंग की कला है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक कला के पहलू वैश्विक कला विमर्श के महत्वपूर्ण घटक हैं।”
मुख्य वक्ता पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के ललित कला विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर कविता सिंह ने कहा, “कला को बाजार की मांग के अनुसार प्रस्तुत किया जाना चाहिए। भारतीय कलाकार अपनी पारंपरिक जड़ों से प्रेरणा लेते हुए वैश्विक रुझानों को आत्मसात कर रहे हैं और अपने कामों के माध्यम से स्थापित कलात्मक मानदंडों को चुनौती दे रहे हैं।”
ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ. गुरचरण सिंह ने सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
इस सम्मेलन का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया। सम्मेलन के दौरान पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं, जिनका संचालन कलाकारों ने किया, जिनमें हीना भट्ट, कला विशेषज्ञ डॉ रंजन मलिक, डॉ अंजलि धुहान, डॉ शेखर चंद्र जोशी, डॉ सोनू द्विवेदी और डॉ बदर जहाँ शामिल थे। सम्मेलन में भारत, जापान, तुर्की, रूस और श्रीलंका के अलावा कई देशों के प्रतिभागी शामिल हुए।
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