नई दिल्ली, 11 मार्च । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने आकलन वर्ष 2018-19 के लिए बकाया कर वसूली पर रोक लगाने की उसकी याचिका खारिज करने वाले आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ मामले की त्वरित सुनवाई के लिए सहमत हो गई है। आईटीएटी के फैसले के कारण कांग्रेस पार्टी के खातों पर रोक लगा दी गई है।
16 फरवरी को, कांग्रेस ने घोषणा की थी कि कर मांग विवाद के संबंध में आईटी विभाग ने उसके बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं। इस कार्रवाई को “लोकतंत्र पर हमला” करार देते हुए पार्टी ने बताया था कि यह कदम आसन्न लोकसभा चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण मोड़ पर उठाया गया है।
कर विवाद तब उत्पन्न हुआ, जब 2018-19 मूल्यांकन वर्ष के लिए पार्टी की आय 1,99,15,26,560 रुपये आंकी गई, जो घोषित शून्य आय से अधिक है। इसके परिणामस्वरूप 1,05,17,29,635 रुपये की कर मांग हुई।
विवाद की जड़ दो आधारों पर आयकर अधिनियम की धारा 13ए के तहत छूट से इनकार करना है। सबसे पहले, 2 फरवरी, 2019 को दाखिल टैक्स रिटर्न को निर्धारित समय सीमा के अनुसार देर से माना गया था। दूसरे, यह पाया गया कि कांग्रेस ने विभिन्न व्यक्तियों से 14,49,000 रुपये का नकद दान स्वीकार किया, जो प्रति दान 2,000 रुपये की सीमा का उल्लंघन था।
आईटीएटी ने कांग्रेस पार्टी की स्थगन याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि धारा 13ए में उल्लिखित अनिवार्य शर्तों का उल्लंघन, आयकर अधिकारियों द्वारा छूट देने में विवेक के लिए कोई जगह नहीं छोड़ता है।
कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि आयकर विभाग ने विभिन्न बैंकों में उसके खातों से अलोकतांत्रिक तरीके से 65 करोड़ रुपये निकाले थे। पार्टी के मुताबिक मामला अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद यह कार्रवाई की गई। कांग्रेस ने खुलासा किया कि क्राउडफंडिंग के माध्यम से एकत्र किए गए धन को भी कर अधिकारियों द्वारा फ्रीज कर दिया गया है।