विधानसभा चुनाव में हार के दो दिन बाद घरौंडा से कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह राठौर ने कुछ कांग्रेस नेताओं पर उन्हें धोखा देने और भाजपा के हरविंदर कल्याण का समर्थन करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ही खेमे के कुछ नेताओं ने उनकी जीत की संभावनाओं को खत्म करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उन्होंने जानबूझकर खुद को प्रचार से दूर रखा, जिससे उनकी हार हुई।
राठौर ने कांग्रेस के तीन प्रमुख नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि चुनाव के दौरान उनके कामों के लिए उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि वे भाजपा के लिए काम करते हैं और कहा कि अगर उन्हें पार्टी से नहीं निकाला गया तो वे खुद कांग्रेस छोड़ देंगे। राठौर ने कहा, “अगर पार्टी के खिलाफ काम करने वाले और भाजपा का समर्थन करने वाले नेताओं को नहीं निकाला गया तो मैं पार्टी छोड़ दूंगा। इन नेताओं ने लोगों को मेरे खिलाफ वोट देने के लिए पैसे दिए।” उन्होंने कहा, “ऐसे नेताओं ने पार्टी की जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।”
कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर राठौड़ ने लोकसभा चुनाव में दिव्यांशु बुद्धिराजा को मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले की आलोचना की, खासकर दो मजबूत मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों के खिलाफ। उन्होंने कहा, “बुद्धिराजा को मैदान में उतारने का पार्टी का फैसला एक गलती थी।”
राठौड़ ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए और बैटरी संबंधी समस्याओं तथा रेडियो फ्रीक्वेंसी में व्यवधान की चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले ही चुनाव प्रक्रिया के बारे में अपनी शिकायतों के साथ भारत के चुनाव आयोग से संपर्क कर चुकी है।
अपनी हार के बावजूद राठौड़ ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें 48 प्रतिशत वोट मिले, जो उनके प्रतिद्वंद्वी कल्याण से सिर्फ 1 प्रतिशत कम है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर आंतरिक अनुशासन पर सवाल उठाए।
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