नई दिल्ली, 29 जून । कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने अपने लेख में प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पीएम मोदी उबर नहीं पाए हैं, जिसमें एनडीए कमजोर जनादेश के साथ सत्ता में लौटी है। प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही नहीं। वह आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं लेकिन टकराव का रास्ता अपनाते हैं।
सोनिया गांधी के इस लेख के बाद सियासत गरमा गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि सोनिया गांधी आज भी विकृत सांप्रदायिक सोच का शिकार हैं, यह उनके लेख में पढ़ा जा सकता है। बंगाल में उनके सहयोगी दल टीएमसी के कार्यकर्ता ने भाजपा की मुस्लिम कार्यकर्ता को इस लिए घसीटा, क्योंकि उसने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। ऐसी घटनाओं पर सोनिया गांधी मौन साध लेती हैं। कांग्रेस सरकार में दस हजार सिखों का नरसंहार हुआ, आपातकाल लगाया गया। कांग्रेस ने संविधान को कलंकित करने का काम किया है।
वहीं जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में जीत हार होती रहती है। सोनिया गांधी, कांग्रेस के इतिहास को कलंकित मत करिए। आपको पता नहीं है कि जब पी.वी. नरसिम्हा राव कांग्रेस के प्रधानमंत्री थे, तब उनके पास कितने सांसद थे। मनमोहन सिंह दो बार प्रधानमंत्री बने, कांग्रेस के कितने सांसद थे। कम से कम अपना चेहरा देख लें। दोनों गांधी परिवार के सदस्य नहीं थे लेकिन कालचक्र में जो घटनाएं हुई है, उसमें पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह को अपमानित मत करिए।
इससे पहले भाजपा राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के लेख पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया है कि उनका यह लेख राजशाही और तानाशाही मानसिकता का परिचायक है।
सिरसा ने कहा कि आज सोनिया गांधी ने एक लेख लिखकर यह कहा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 240 सीट मिलने के बावजूद यह उनकी व्यक्तिगत हार है। उन्हें बड़ी हैरानी होती है कि पिछले 30 साल में जो कांग्रेस कभी भी 240 सीटों का आंकड़ा टच नहीं कर पाई, यहां तक कि पिछले तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सारी सीटों को मिला कर भी जिसका आंकड़ा 240 तक नहीं पहुंचता वह कांग्रेस 99 सीट को भी अपनी जीत और 240 सीट को पीएम मोदी की हार बता रही है।
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