December 20, 2024
National

साल 2014, 2019 और 2024 का चुनाव कांग्रेस हारी है, नेहरू नहीं : मनोज झा

Congress has lost the elections of 2014, 2019 and 2024, not Nehru: Manoj Jha

नई दिल्ली, 17 दिसंबर । वर्ष 2014, 2019 और 2024 का चुनाव पंडित जवाहरलाल नेहरू नहीं हारे हैं। यह चुनाव विपक्ष ने हारे हैं, कांग्रेस हारी है। संविधान पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज कुमार झा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जब से संसद में आया हूं, नेहरू जी पर बहुत चर्चा होती है। उन्होंने सत्ता पक्ष से कहा कि अगर 100 साल तक भी आप चुनाव जीतेंगे तो नेहरू को तब भी वहीं खड़ा पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि नेहरू संसदीय लोकतंत्र के प्रतीक हैं, वह लोकतंत्र की ढाल हैं।

चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि जयप्रकाश (जेपी) ने जब आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी को चिट्ठी लिखी तो उन्होंने इंदिरा गांधी को नेहरू की याद दिलाई थी। जवाहरलाल नेहरू ऐसे व्यक्ति थे कि जब उनकी आलोचना नहीं होती थी तो वे छद्म नाम से अपनी आलोचना स्वयं करते थे। जब हम संविधान दिवस मना रहे हैं तो क्या हमें स्वतंत्रता की बात नहीं करनी चाहिए। आज आप नेहरू जी के बारे में कहते हैं कि उन्हें यह काम करना चाहिए या उन्होंने वह काम नहीं किया। 25 साल बाद जब संविधान के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे तब यदि आपके बारे में भी यही बातें कही जाएगी तो वह अच्छा नहीं लगेगा।

मनोज झा ने कहा कि हम भूल जाते हैं कि 1947 में इस देश की क्या हालत थी, जवाहरलाल नेहरू, अंबेडकर, पटेल, आजाद ने नींव डाली है। वे नींव हैं, उन्होंने नींव डाली है। आप इस इमारत का सेकंड, थर्ड फ्लोर बना रहे हैं। लेकिन, उन्होंने नींव डाली है। उन्होंने ग्राउंड फ्लोर बनाया है। आप 5 फ्लोर और बनाइए, लेकिन नींव के बगैर फ्लोर किसी काम का नहीं है। सीवर और सेप्टिक टैंक में जहरीली गैस से मरने वाले लोग कौन हैं, क्या वह ‘एक हैं तो सेफ हैं’ में नहीं आते।

उन्होंने कहा कि जब आजादी की बात हो तो हम उसका मूल्यांकन करें। इस देश में नाम और सरनेम से भी चीजें तय होती हैं। खालिद नाम है, जेल में रहोगे, सुनवाई नहीं होगी। हैदर नाम है सुनवाई नहीं होगी। शरजील इमाम नाम है तो सुनवाई नहीं होगी। गुलफिशा होगी तो सुनवाई नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का मूलवासी बचाओ मंच है, उसे गैर कानूनी बना देते हैं। किसान विरोध करें तो देशद्रोही हैं। छात्र नौकरी मांग रहे हैं। कुछ छात्र तो केवल परीक्षा समय पर करने की मांग कर रहे हैं, उन्हें आप कहते हो कि वे अराजक हैं। बांग्लादेश में जो हो रहा है, मैं उस पीड़ा को साझा करता हूं। 1971 के बारे में पढ़ा था, अब देख रहे हैं। जब देश आजादी का जश्न मना रहा था तब महात्मा गांधी नोआखाली में शांति के लिए दर-दर भटक रहे थे।

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