कांग्रेस नेता राहुल गांधी 18 जनवरी को बिहार की राजधानी पटना के दौरे पर आने वाले हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उनका यह पहला बिहार दौरा है। इस साल अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इसे अहम माना जा रहा है। उनके आगमन को लेकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
राहुल गांधी के बिहार दौरे को लेकर राज्य के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि तीन दशकों से कांग्रेस बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कांग्रेस राजद पर निर्भर रही है। जब राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो लोगों को बहुत उम्मीद थी। कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह भरोसा था कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस बिहार में अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम होगी, लेकिन राहुल गांधी कोई भी करिशमा दिखाने में नाकाम साबित हुए।
उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। बिहार में कांग्रेस पार्टी जब तक अपने पैरों पर खड़ी नहीं होगी, संघर्ष नहीं करेगी, तब तक पार्टी का विस्तार नहीं होगा। अगले 50 साल तक लालू प्रसाद यादव बिहार में कांग्रेस को पनपने नहीं देंगे।
बिहार दौर के दौरान राहुल गांधी पटना के बापू सभागार में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। कांग्रेस नेताओं ने पटना की सड़कों पर राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पोस्टर लगाए हैं।
बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव की दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बढ़ती नजदीकियों ने कांग्रेस को उहापोह में डाल दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि राजद प्रमुख लालू यादव ने ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को देने की वकालत की थी। इसको लेकर भी राजद और कांग्रेस में तनातनी देखने को मिली थी। ऐसे में तमाम राजनीतिक गतिविधियों के बीच राहुल गांधी का दौरा अहम माना जा रहा है।
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