December 2, 2025
National

‘संचार साथी’ ऐप पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का तंज, कहा- क्या सरकार भारत को नॉर्थ कोरिया बनाना चाहती है?

Congress MP Imran Masood took a dig at the ‘Sanchar Saathi’ app, saying, “Does the government want to turn India into North Korea?”

दूरसंचार विभाग द्वारा सभी नए मोबाइल फोन में ‘संचार साथी’ ऐप को अनिवार्य तौर पर प्री-इंस्टॉल करने को लेकर विवाद जारी है। कांग्रेस इसे निजता के हनन के साथ जोड़ रही है। मंगलवार को कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तंज कसते हुए सवाल किया कि क्या सरकार भारत को नॉर्थ कोरिया बनाना चाहती है।

नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को अनिवार्य करने को कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने देश की सुरक्षा के साथ जोड़ा। उन्होंने कहा, “देश को हम कहां लेकर जा रहे हैं? सुरक्षा के नाम पर आप सिंगापुर की तरह क्यों नहीं करते? सिंगापुर में पता रहता है कि एक आदमी कहां मूवमेंट कर रहा है, लेकिन यहां पर सरकार उनके मोबाइल फोन में घुसकर लोगों की निजता का हनन करेगी, तो ऐसे में देश को कहां लेकर जाना चाहते हैं?”

कांग्रेस सांसद ने कहा, “क्या सरकार देश को नॉर्थ कोरिया बनाना चाहती है कि बाल भी उनकी तरह कटवाए, कपड़े भी उनकी तरह पहने, क्या खाएं-पीएं, किस तरह सोएं, किस तरह हंसे, कैसे बैठें, क्या यह सबकुछ सरकार तय करेगी?”

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद रमजान के जम्मू-कश्मीर को लेकर दिए हालिया बयान पर इमरान मसूद ने कहा, “मुझे नहीं पता कि रमजान साहब के पास कितनी राजनीतिक समझ है। उनकी पार्टी कश्मीर के अंदर जीती है, लेकिन जम्मू में उनका क्या हाल हुआ? कश्मीर में भाजपा के जीतने पर हर कोई सवाल खड़े कर देता।”

संसद सत्र से पहले कांग्रेस की मीटिंग में शशि थरूर के नहीं पहुंचने पर उन्होंने कहा, “शशि थरूर कोई मुद्दा ही नहीं है। उनकी मर्जी है कि वे आएं या फिर नहीं आएं।”

शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम् पर होने वाली चर्चा को लेकर कांग्रेस सांसद ने तंज कसते हुए कहा, “1925 से लेकर 1947 के बीच में जब आजादी के मतवाले ‘वंदे मातरम्’ गाते हुए निकलते थे, तब अंग्रेज उन पर लाठियां चलाते थे, लेकिन उस समय आरएसएस के लोग एक लाठी खाए हों, तो बता दें।”

उन्होंने पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद को लेकर हो रहे बवाल पर कहा, “ऐसे लोग मानसिक रूप से विकृत होते हैं। वे मस्जिद बनाएं, न कि मस्जिद को सियासत का अड्डा। मस्जिद इबादत के लिए है, न कि सियासत के लिए।”

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