March 22, 2025
National

कांग्रेस सांसद नसीर हुसैन ने कर्नाटक में अल्पसंख्यकों को चार फीसदी आरक्षण का किया समर्थन

Congress MP Naseer Hussain supports four percent reservation for minorities in Karnataka

कर्नाटक में अल्पसंख्यकों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण, भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में निलंबित किए गए सांसदों का मुद्दा और वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कर्नाटक में सरकारी ठेके में अल्पसंख्यकों को चार फीसदी आरक्षण दिए जाने पर कहा कि कर्नाटक में पिछले 25 सालों से आरक्षण व्यवस्था लागू है, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी, बैकवर्ड क्लास, मोस्ट बैकवर्ड क्लास, और अल्पसंख्यक समुदायों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। यह कोई नया आरक्षण नहीं है।

सैयद नसीर हुसैन ने इस व्यवस्था का समर्थन करते हुए कहा कि यह कदम शोषण और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर उठाया गया है, ताकि समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिल सके। उन्होंने कर्नाटक सरकार द्वारा अब आरक्षण को और विस्तृत करने का स्वागत किया, जिसमें सरकारी ठेके में दो करोड़ रुपये तक के ठेके पर आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही बैकवर्ड क्लास और अल्पसंख्यकों को भी इस व्यवस्था का लाभ दिया जा रहा है, जिससे वे देश के विकास में सक्रिय रूप से शामिल हो सकें।

इसके अलावा, हुसैन ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा व‍िधानसभा में 18 विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित किए जाने पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पूछा कि भाजपा ने कितने सांसदों को निलंबित किया था, और यह याद दिलाया कि किसानों के काले कानून के विरोध में 12 सांसदों को निलंबित किया गया था, वहीं सुरक्षा कारणों से 56 सांसदों को निलंबित किया गया था। उन्होंने भाजपा से यह सवाल पूछा कि इस पर उनका क्या जवाब है?

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर भी सैयद नसीर हुसैन ने अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने इसे “अनफेयर” और “लक्षित विधेयक” करार देते हुए कहा कि यह संविधान और अल्पसंख्यक संस्कृति को कमजोर करने का प्रयास है। उनका आरोप था कि सरकार संविधान को धीरे-धीरे बदलने की कोशिश कर रही है, और यह विधेयक इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।

शिवाजी स्मारक पर भी हुसैन ने अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक व्यक्तियों और स्थानों पर विचार करते समय हमें उनके योगदान को समझना चाहिए। उनका मानना था कि लोकतंत्र में विश्वास रखते हुए, स्थानीय सरकार को फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए, ताकि वे अपने क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार निर्णय ले सकें।

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