June 23, 2025
National

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के पोस्ट पर जताई आपत्ति

Congress MP Pramod Tiwari objected to the post of BJP MP Nishikant Dubey

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के एक सोशल मीडिया पोस्ट पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि शर्म आती है कि आजाद भारत में ऐसे लोग भी रहते हैं।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शिमला समझौता को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट में कांग्रेस से तीखे सवाल पूछे। उन्होंने पोस्ट में कहा कि क्या शिमला समझौता ‘आयरन लेडी’ इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव में किया? आयरन लेडी ने भारत का कब्जा किया हुआ 5000 स्क्वायर मील भूभाग पाकिस्तान को क्यों दिया? पाकिस्तान के पास हमारा 30 हजार स्क्वायर मील भूभाग पाकिस्तानी के पास किसके दबाव में छोड़ा? 93 हजार सैनिक लौटाने के बदले अपने 56 सैनिकों को पाकिस्तान की जेल में क्यों मरवा दिया? यह राज्य सभा का डिबेट है, कांग्रेस पार्टी के सदस्य तथा पूर्व रक्षा मंत्री महावीर त्यागी तथा भाजपा-जनसंघ के वरिष्ठ नेता भाई महावीर के इन प्रश्नों का जबाब ना तो आयरन लेडी ने दिया ना विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह ने। कितना बिकेगा भारत। जनता को मूर्ख बनाइए, यही इतिहास है।

निशिकांत दुबे के इस पोस्ट पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि कभी वह अपनी पार्टी का इतिहास पढ़ लें। भले ही देश का इतिहास न पढ़े। क्या उन्हें ज्ञात नहीं है कि इंदिरा गांधी ऐसी पीएम रही हैं जिनकी विपक्ष की भी इज्जत करता है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी की तुलना मां दुर्गा से की थी। जो इस दुनिया में नहीं है उसके लिए इस तरह की टिप्पणी करना भाजपा का आचरण, संस्कृति होगी भारत की नहीं है। इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्देशों को पालन करने से मना कर दिया था। इंदिरा गांधी तब तक नहीं रुकीं जब तक उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े नहीं कर दिए। इतना शानदार इतिहास बनाने वाले के लिए ऐसी टिप्पणी की जाती है। शर्म आती है कि आजाद भारत में ऐसे लोग भी हैं।

ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु चलाए जाने पर कांग्रेस सांसद ने कहा कि ईरान ने हमेशा भारत का समर्थन किया है और अच्छी दोस्ती बनाए रखी है। यहां तक कि जब हम पाकिस्तान के मुद्दे पर, खासकर कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र और उसकी समितियों में अलग-थलग पड़ गए थे, तब भी ईरान ही हमारे साथ खड़ा था।

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