नई दिल्ली, 20 अगस्त । ‘लेटरल एंट्री’ को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मुंबई प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हितेश जैन ने विपक्ष पर इस मामले पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर उन्होंने कहा था कि खुद कांग्रेस ने ही लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी। इसी मुद्दे को लेकर भाजपा नेता ने आईएएनएस से खास बातचीत की और कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए। पेश हैं साक्षात्कार के कुछ अंश।
सवाल – पिछली सरकारों की तुलना में मौजूदा सरकार के तहत ‘लेटरल एंट्री’ प्रक्रिया की पारदर्शिता को आप कैसे देखते हैं, खासकर जब बात समानता और सामाजिक न्याय की हो?
जवाब – ‘लेटरल एंट्री’ की जो प्रक्रिया है, मोदी जी के नेतृत्व में यह एक पारदर्शी, निष्पक्ष और सबको साथ में लेकर चलने की प्रक्रिया है। जहां तक सरकार की भूमिका की बात है, तो उन्होंने अपनी भूमिका स्पष्ट की है कि इस नियुक्ति प्रक्रिया को बाबा साहब अंबेडकर के संविधान में दिखाई गई सामाजिक न्याय की दिशा के अनुरूप बनाना होगा।
सवाल – डॉ. मनमोहन सिंह को 1972 में सरकार का मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाकर लैटरल एंट्री की शुरुआत की गई थी। क्या आज कांग्रेस की आलोचना विश्वसनीय है?
जवाब – आप कांग्रेस का इतिहास देखेंगे तो सरकार पर उनके आरोप सिवाय टेप रिकॉर्ड के कुछ भी नहीं हैं। अगर डॉक्टर मनमोहन सिंह (को मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त करने) की बात की जाए तो लेटरल एंट्री की प्रक्रिया की शुरुआत कांग्रेस ने की थी। डॉ. मनमोहन सिंह को जब 1972 लेटरल एंट्री के तहत नियुक्त किया था, वह भी कांग्रेस का निर्णय था। एनएसी (नेशनल एडवाइजरी काउंसिल) कांग्रेस ने बनाई थी, सब को पता है। इस पूरे प्रोसेस में जब कांग्रेस ने लेटरल एंट्री शुरू की थी तो उन्होंने न ही कोई पारदर्शिता, न ही रिजर्वेशन की बात की थी, और किसी सामाजिक प्रक्रिया के तहत किसी की नियुक्ति भी नहीं की थी।
सवाल – पीएम मोदी की सरकार कैसे सुनिश्चित कर रही है कि लेटरल एंट्री प्रक्रिया में एससी, एसटी और ओबीसी जैसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता दी जा रही है?
जवाब – डॉ. जितेंद्र सिंह ने जो चिट्ठी लिखी है, उसमें स्पष्ट कहा गया है कि लेटरल हायरिंग प्रोसेस को आपको सामाजिक न्याय के अनुरूप बनाना चाहिए। जो भी आरक्षण की प्रक्रिया है, उसकी कानूनी रूप से समीक्षा करनी चाहिए। उसमें एप्लीकेबल प्रोसेस का पालन करना चाहिए, जिससे लोगों को आरक्षण मिले।
उन्होंने (डॉ. सिंह ने) कहा है कि लेटरल नियुक्ति की प्रक्रिया की समीक्षा करनी चाहिए और उसे रद्द करना चाहिए। आपने देखा होगा की चिट्ठी मिलने के बाद यूपीएससी की प्रक्रिया रद्द कर दी गई है। हमें आशा है कि सामाजिक न्याय के अनुरूप यह प्रक्रिया तैयार की जाएगी। बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान में जो उद्देश्य रखे हैं, उसका पूरा ध्यान रखा जाएगा।
सवाल – आरोप है कि कांग्रेस ने एनएसी के माध्यम से समानता और पारदर्शिता को कमजोर किया था। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है, और आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब – कांग्रेस ने कभी पारदर्शिता नहीं बनाई है। कांग्रेस ने सिर्फ राजनीति की है। हमने तो पहले आपको बताया कांग्रेस के पास सिर्फ टेप रिकॉर्ड रहा। कांग्रेस ने सिर्फ झूठ कहा है। लोगों में भ्रम फैलाया है। कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड देखेंगे तो डॉ मनमोहन सिंह से शुरुआत कीजिए और एनएसी के सदस्यों तक देख लीजिए। लेटरल एंट्री के पूरे प्रोसेस में उन्होंने आरक्षण का पालन नहीं किया था। सिर्फ लोगों के सामने राजनीति के लिए वे बात करते हैं। कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर होता है। कांग्रेस के पास कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है, जिससे बता सकें की कभी उन्होंने संविधान का पालन किया है।
सवाल – आपकी राय में, आज कांग्रेस लेटरल एंट्री प्रक्रिया का इतना विरोध क्यों कर रही है, जबकि उन्होंने ही इसे शुरू किया था?
जवाब – कांग्रेस के पास सिवाय राजनीति करने, झूठ फैलाने, भ्रम फैलाने और देश में अराजकता फैलाने के और कोई उपाय नहीं है। कांग्रेस लगातार तीन बार से चुनाव हारती जा रही है, जिसके कारण वह परेशान हो गई है। पार्टी आगे भी चुनाव हारने वाली है। जो पार्टी चुनाव हारती है, उसका एक ही काम होता है, गंदी राजनीति करना और जातियों के नाम पर देश का बंटवारा करना।
जब उन्होंने लैटरल एंट्री की शुरुआत की थी, तब उन्होंने न तो संविधान का पालन किया था और न ही किसी को आरक्षण दिया था। अगर आप जामिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की बात करेंगे तो उसमें भी कोई आरक्षण नहीं दिया गया है। कांग्रेस अपनी राजनीति करती रहेगी और उसका एक ही उद्देश्य देश में अराजकता फैलाना है।