कांग्रेस ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से पंजाब नगर सुधार (संशोधन) विधेयक, 2025 पर अपनी मंजूरी रोकने तथा संविधान के अनुच्छेद 201 के साथ अनुच्छेद 200 के तहत इसे भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखने का आग्रह किया।
विधानसभा ने सोमवार को वह विधेयक पारित कर दिया, जो सरकार को सुधार ट्रस्टों के धन और वित्तीय संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।
कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा, विपक्ष की उपनेता अरुणा चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह और फिल्लौर के विधायक विक्रमजीत चौधरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में राज्यपाल से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि पंजाब नगर सुधार अधिनियम, 1922 ने संबंधित नगरपालिका क्षेत्र के भीतर सुधार योजनाओं – सड़क लेआउट, झुग्गी बस्ती उन्मूलन, आवास, ट्रंक बुनियादी ढांचे – की कल्पना, वित्तपोषण और कार्यान्वयन के लिए क्षेत्र-विशिष्ट, अर्ध-स्वायत्त निकायों के रूप में सुधार ट्रस्टों का निर्माण किया।
बाजवा ने कहा कि नए संशोधन में नगर विकास निधि (एमडीएफ) की शुरुआत की गई है और यह अनिवार्य किया गया है कि ट्रस्ट की संपत्तियों के निपटान से प्राप्त धन का एक हिस्सा इसमें स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे ट्रस्ट के फंड का स्वरूप स्थानीय रूप से निर्धारित संसाधनों से बदलकर राज्य-स्तरीय निधि बन गया है, जिसका आवंटन कार्यपालिका के विवेक पर किया जा सकता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे कई संवैधानिक और प्रशासनिक खामियाँ पैदा हुईं।
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