November 27, 2025
National

संविधान दिवस : राष्ट्रपति, कानून मंत्री और सीजेआई ने संविधान को बताया सर्वोपरि, मार्गदर्शक ग्रंथ

Constitution Day: President, Law Minister and CJI call the Constitution supreme and a guiding text

संविधान दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन स्थित सेंट्रल हॉल के संविधान सदन में संविधान दिवस 2025 कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज के दिन, पूरा देश, भारतीय लोकतंत्र के आधार, हमारे संविधान के प्रति तथा उसके निर्माताओं के प्रति आदर व्यक्त करता है। ‘हम भारत के लोग’ अपने संविधान के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर आस्था व्यक्त करते हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारे संविधान निर्माता चाहते थे कि संविधान के माध्यम से हमारा सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान सुनिश्चित रहे। मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता होती है कि बीते दशक में हमारी संसद ने जन-आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने के अत्यंत प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा संविधान, हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का ग्रंथ है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान का ग्रंथ है। यह औपनिवेशिक मानसिकता का परित्याग करके राष्ट्रवादी मानसिकता के साथ देश को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शक ग्रंथ है। संवैधानिक आदर्शों में निहित सर्व-समावेशी दृष्टि हमारी शासन-व्यवस्था को दिशा प्रदान करती है। हमारे संविधान में निहित नीति-निर्देशक तत्व हमारी शासन-व्यवस्था के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने हमारे देश को आगे बढ़ाने के साथ-साथ गहन राजनीतिक चिंतन की स्वस्थ परंपरा विकसित की है। आने वाले काल-खंडों में जब विभिन्न लोकतंत्रों और संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा तब भारतीय लोकतंत्र और संविधान का विवरण स्वर्णाक्षरों में किया जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप आगे बढ़ते हुए हमारे देश की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका ने देश के विकास को सुदृढ़ किया है और नागरिकों के जीवन को स्थिरता और संबल प्रदान किया है। संसद सदस्य हमारे संविधान और लोकतंत्र की गौरवशाली परंपरा के वाहक, निर्माता और साक्षी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संसद के मार्गदर्शन में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प अवश्य पूरा होगा।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने संविधान निर्माण में बाबा साहेब के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनकी दूरदृष्टि का लाभ हम सबको मिल रहा है। भावी पीढियों को भी इसका लाभ मिलता रहेगा।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि हमारा संविधान केवल कानूनी दस्तावेज ही नहीं, बल्कि नागरिकों को सामाजिक न्याय देने का काम करता है। संविधान हमें अपनी विरासत पर गर्व करना सिखाता है। भारत में लोकतांत्रिक भावना मूल समय से ही व्याप्त है। नागरिक अधिकार और स्वतंत्रता के विचार भारतीय संस्कृति में प्राचीन परंपरा से हैं। हमारा लोकतंत्र लगातार मजबूत हो रहा है। हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में से एक बेगम एजाज रसूल को याद करते हुए उनकी उक्ति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम इसी संविधान की राह पर चलते हुए विकसित और मजबूत हो रहे हैं। दुनिया में हमारी अर्थव्यवस्था भी अग्रिम पंक्ति में है। उद्योग और बुनियादी ढांचे आधुनिक आधार पर बन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के निर्माण के 76 साल बाद भी आम नागरिक के जीवन में बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा संरक्षा की चुनौतियां भी हैं। संविधान के अनुच्छेद 32 के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट संविधान और नागरिक अधिकारों का संरक्षक है। हम पूरी निष्ठा से ये भूमिका निभा रहे हैं।

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