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समालखा में एनएच-44 की सर्विस लेन पर लगातार जलभराव

Continuous waterlogging on the service lane of NH-44 in Samalkha

समालखा में एनएच-44 के किनारे सर्विस लेन पर उचित जल निकासी व्यवस्था के अभाव के कारण भारी जल जमाव की समस्या बनी हुई है, जो पिछले पांच वर्षों से यात्रियों और निवासियों के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को की गई शिकायत के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के परियोजना निदेशक ने संबंधित निजी ठेकेदारों को तत्काल कार्रवाई करने और मामले पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि एनएचएआई ने दिल्ली के मुकरबा चौक से पानीपत तक 70 किलोमीटर लंबे हिस्से को चौड़ा किया था, लेकिन समालखा में सर्विस लेन की उपेक्षा की गई है। परियोजना पूरी होने के बाद से यह समस्या बनी हुई है।

समालखा बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक और आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने 18 जुलाई को दर्ज अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि सर्विस लेन के दिल्ली-पानीपत वाले हिस्से में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने दावा किया कि गीता आश्रम और भापरा औद्योगिक क्षेत्र के पास बारिश और सीवेज का पानी जमा हो रहा है, जिससे यह हिस्सा “तालाब” में तब्दील हो गया है।

कपूर ने कहा, “यहाँ कोई नाला या तालाब नहीं है—सिर्फ़ फ्लाईओवर, हाईवे और सीवेज का जमा हुआ पानी है। एनएचएआई इसे निकालने की कोई व्यवस्था नहीं कर पाया है।”

उन्होंने आगे कहा कि स्थायी समाधान देने के बजाय, एनएचएआई ने भारी सीमेंट के बैरिकेड लगाकर सर्विस लेन को बंद कर दिया। उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने स्थानीय निवासियों के लिए अस्थायी रास्ता बनाने के लिए ग्रिल हटाकर फ्लाईओवर पर एक कट भी खोल दिया।”

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि एनएचएआई अस्थायी और सतही उपाय अपना रहा है। कपूर ने कहा, “कभी वे पानी के टैंकरों से पानी निकालते हैं, फिर सड़क खोदकर कंक्रीट से उसका पुनर्निर्माण करते हैं, और अब पेवर टाइल्स बिछा रहे हैं। यह सब दिखावा है।”

सर्विस लेन की खराब हालत के कारण ई-रिक्शा और ऑटो से जुड़ी कई दुर्घटनाएँ भी हुई हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उचित जल निकासी व्यवस्था का अभाव ही इसका मूल कारण है।

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