समुद्र व अन्य जलमार्गों में भारत की सुरक्षा व संचार शक्ति को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 1,220 करोड़ रुपए की एक बड़ी और महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी है। यह सौदा भारतीय तटरक्षक बल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस सौदे के अंतर्गत तटरक्षक बल को अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो मिलेंगे। ‘स्टेट ऑफ द आर्ट रेडियो सिस्टम’ तटरक्षक बल को सूचना साझा करने की एक भरोसेमंद क्षमता से लैस करेंगे।
इसका सीधा लाभ भारत की समुद्री सुरक्षा को मिलेगा। साथ ही, तटरक्षक बल रेस्क्यू ऑपरेशन में भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगे।
1,220.12 करोड़ रुपए की कुल लागत पर भारतीय तट रक्षक के लिए 149 सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो की खरीद को स्वीकृति दी गई है। इसके लिए गुरुवार को मेसर्स भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), बेंगलुरु के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि तटरक्षक बल के लिए खरीदे जा रहे अत्याधुनिक रेडियो उच्च गति डेटा और सुरक्षित संचार के आधुनिक माध्यम हैं। ये उपकरण तटरक्षक बल को सुरक्षित और विश्वसनीय सूचना साझाकरण तकनीक से सुसज्जित करेंगे। इतना ही नहीं यह उपकरण तटरक्षक बल को अन्य एजेंसियों के साथ आवश्यक सहयोग करने में भी सक्षम करेंगे।
इससे भारतीय तटरक्षक बल को समुद्री कानूनों के पालन, खोज और बचाव अभियान, मत्स्य पालन संरक्षण और समुद्री पर्यावरण संरक्षण सहित अपनी मुख्य जिम्मेदारियों को पूरा करने में मजबूती मिलेगी।
इसके अतिरिक्त, ये रेडियो भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभियानों के लिए पारस्परिक संचालन क्षमता को बढ़ाएंगे।
यह परियोजना तटरक्षक बल की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करके भारत सरकार के नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) के उद्देश्यों का सहयोग करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। आत्मनिर्भर भारत पहल के साथ तालमेल बिठाते हुए, यह अनुबंध उन्नत सैन्य-ग्रेड संचार प्रणालियों के लिए देश की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाएगा, रोजगार के अवसर पैदा करेगा और विशेषज्ञता विकास को बढ़ावा देगा।