जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को सरकारी छुट्टी घोषित न किए जाने को लेकर विवाद गहरा गया है। इस मुद्दे पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पत्र लिखकर छुट्टी की मांग की थी। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) युवा मोर्चा के अध्यक्ष अरुण प्रभात ने महबूबा और उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला बोला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों नेता तुष्टीकरण की राजनीति और अलगाववादी सोच को बढ़ावा दे रहे हैं। आईएएनएस से बातचीत में अरुण प्रभात ने कहा, “धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान पूरी तरह लागू है। महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान का एजेंडा चलाना चाहती हैं, लेकिन इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने 13 जुलाई 1931 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस दिन कथित नरसंहार और आगजनी के दौरान अलगाववादी ताकतों ने हिंसा भड़काई थी। प्रभात ने दावा किया कि उस समय महाराजा की सेनाओं ने जवाबी कार्रवाई में आतंकवादियों को निशाना बनाया था, जिन्हें अब कुछ लोग “शहीद” बताकर उनकी छुट्टी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इसे आतंकवादी मानसिकता करार देते हुए कहा, “नया जम्मू-कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा नहीं देगा।”
उमर अब्दुल्ला ने हालिया कोलकाता दौरे के दौरान एक बयान दिया था। कहा था कि उनके पास सुरक्षा बलों पर नियंत्रण नहीं है। प्रभात ने तंज कसते हुए कहा, “उमर को 1989 का वह दौर याद करना चाहिए, जब कश्मीरी पंडितों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। उस समय की जिम्मेदारी किसकी थी?” उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी आतंकवाद को प्रोत्साहन देने वाली मानसिकता से ग्रस्त हैं।
उन्होंने उमर अब्दुल्ला की नीतियों पर भी सवाल उठाए, खासकर नायब तहसीलदार भर्ती में उर्दू को अनिवार्य करने के फैसले को। प्रभात ने इसे “बहिष्कार की राजनीति” करार देते हुए कहा कि यह कदम 80 प्रतिशत से अधिक युवाओं को नौकरी से वंचित करता है और संविधान के समान अवसर (अनुच्छेद 14-16) के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने आगे कहा, “उमर अब्दुल्ला और इंडिया ब्लॉक संविधान की बात करते हैं, लेकिन उनकी नीतियां संविधान की धज्जियां उड़ाती हैं।” प्रभात ने महबूबा मुफ्ती पर भी निशाना साधा, उन्हें “आतंकवादियों को प्रोत्साहित करने वाली” नेता बताया। उन्होंने कहा, “महबूबा की स्व-शासन और पाकिस्तान के साथ संयुक्त नियंत्रण की बातें उनकी मानसिकता को दर्शाती हैं। कश्मीरी समाज ने उन्हें और उनकी पार्टी को नकार दिया है।”