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लैब और अस्पतालों के भुगतान का कंप्यूटरीकरण नहीं चाहते भ्रष्ट अधिकारी : आप

Corrupt officials do not want computerization of lab and hospital payments: AAP

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर । दिल्ली सरकार का कहना है कि वह निजी लैब, अस्पतालों एवं अन्य वेंडर्स के बिल भुगतान प्रणाली को कंप्यूटरीकृत करना चाहती है। इसका उद्देश्य इस पूरी प्रणाली में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार को समाप्त करना है। लेकिन भ्रष्ट अधिकारी इसे रोकने का प्रयास कर रहे हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार प्रतिवर्ष लगभग एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान निजी प्रयोगशालाओं, अस्पतालों एवं अन्य वेंडर्स को करती है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भ्रष्ट अधिकारी बिल भुगतान को डिजिटल बनाने के प्रयासों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं और वे उपराज्यपाल के साथ मिलकर एक दोषपूर्ण अस्पताल सूचना प्रबंधन प्रणाली (एचआईएमएस) की वकालत कर रहे हैं जिसमें मोहल्ला क्लिनिक, दिल्ली आरोग्य कोर्स और फरिश्ते योजनाओं और निजी प्रयोगशालाओं के बिलों के भुगतान के लिए महत्वपूर्ण मापदंडों अर्थात मॉड्यूल का अभाव है।

एचआईएमएस प्रणाली को पहले एनईसी नामक एक आईटी कंपनी को टेंडर किया गया था। हालांकि एक साल पूरा हो जाने के बावजूद वह काम पूरा नहीं कर पाए। इसीलिए उनका अनुबंध 2023 में समाप्त कर दिया गया। इसके बाद नए स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने खुद कई अस्पतालों का दौरा किया, जहां एनईसी और सी- डैक एचआईएमएस प्रणाली को लागू किया गया था। पार्टी ने कहा कि दिल्ली सरकार की मोहल्ला क्लीनिक, निजी प्रयोगशाला, डाक, फरिश्ते योजना के मॉड्यूल विकसित करने की विशिष्ट आवश्यकताओं के बारे में एनईसी और सी-डैक दोनों के साथ चर्चा हुई। इन दोनों केंद्रीय सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों से यह पुष्टि करने के लिए कहा गया था, कि क्या वे दिल्ली सरकार की इन प्रमुख योजनाओं के लिए मॉड्यूल विकसित कर पाएंगे। केवल सी-डैक ने ही इस पर सहमति जताई, कि वह दिल्ली सरकार के लिए विशिष्ट मॉड्यूल उपलब्ध करा पाएंगे।

आप के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के एक समूह के खिलाफ नियमित शिकायत मिलती है कि वे वेंडरों के बिल तभी भुगतान करते हैं, जब उनकी रिश्वत की मांग पूरी कर दी जाती है I पिछले साल तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी विभाग से ऐसे आरोपों की जांच करने को कहा था I इसके अलावा यह एक ज्ञात तथ्य है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कई वेंडरों के भुगतान को बिना किसी ठोस आधार के रोक दिया और ऐसी आशंका है, कि इन देय भुगतानों को प्रोसेस करने के लिए रिश्वत की अनुचित मांगों के कारण ऐसा हुआ है।

दिल्ली सरकार चाहती है कि विक्रेताओं द्वारा बिल जमा करने की पूरी प्रक्रिया, उनकी जांच, उनके भुगतान की प्रक्रिया कंप्यूटरीकृत और पारदर्शी हो, डाक और मोहल्ला क्लीनिक के लिए यह मॉड्यूल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएंगे।

आप ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि स्वास्थ्य पूरी तरह से दिल्ली की निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में होने के बावजूद उपराज्यपाल स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक में एनईसी प्रणाली की वकालत कर रहे थे। पार्टी का कहना है कि अगर कुछ करोड़ रुपये का सॉफ्टवेयर उपयोग करके हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार रोका जा सकता है तो किसी भी अधिकारी या एलजी कार्यालय को इससे क्या समस्या होनी चाहिए।

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