सोलन, 7 जुलाई इसके निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च करने के वर्षों बाद तथा मुख्यमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किए जाने के बाद भी राज्य सरकार बद्दी में औषधि परीक्षण प्रयोगशाला को अधिसूचित नहीं कर सकी, जिससे यह अक्रियाशील हो गई।
2017 में स्वीकृत इस लैब की स्थापना पर 32 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई थी। इसका उद्घाटन 10 मार्च को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किया था। हालांकि, अपेक्षित अधिसूचना के अभाव में इसे अभी तक क्रियाशील नहीं किया जा सका है।
औषधि नियंत्रण प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया, “हालांकि, राज्य सरकार दो वर्षों से बेकार बैठे दो उप विश्लेषकों को वेतन देने के अलावा परिष्कृत उपकरणों को क्रियाशील रखने के लिए लगभग 1 लाख रुपये मासिक बिजली बिल का भुगतान कर रही है।”
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केन्द्र सरकार के समक्ष उठाया गया है और इसे शीघ्र ही सुलझा लिया जाएगा। बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) औद्योगिक क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा फार्मास्युटिकल केंद्र होने के बावजूद, राज्य में पूरी तरह सुसज्जित औषधि परीक्षण प्रयोगशाला का अभाव है।
इस तरह की प्रयोगशाला स्थापित करने की आवश्यकता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य की दवा कंपनियों के दवा नमूने बार-बार गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरते। 21 जून को राष्ट्रीय औषधि नियामक ने बद्दी, बरोटीवाला, काला अंब, पांवटा साहिब, सोलन आदि से 23 दवा नमूनों को घटिया घोषित किया था।
ऊना जिले में करोड़ों रुपये की लागत से बल्क ड्रग पार्क स्थापित किए जाने के साथ ही बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाना समय की मांग है।
एक दवा निर्माता ने कहा, “केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा हर उत्पाद के लिए जैव-समतुल्यता और स्थिरता डेटा जैसी कठोर शर्तें लागू करने के कारण, ऐसी प्रयोगशाला की अनुपस्थिति उद्योग को ऐसे परीक्षणों को निजी प्रयोगशालाओं को सौंपने के लिए मजबूर करती है। स्थिरता कक्ष और संबंधित सुविधाओं का निर्माण छोटे निर्माताओं के लिए एक महंगा मामला है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत नई लैब स्थापित करने के लिए 2017 में राज्य स्वास्थ्य विभाग को 30 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए थे।