साइबर जालसाज लोगों को ठगने के लिए जाली साइटों से जुड़े ई-चालान के फर्जी संदेश भेज रहे हैं। जैसे ही कोई वाहन मालिक चालान का भुगतान करने के लिए लिंक पर क्लिक करता है और बैंक खाते का विवरण या डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी दर्ज करता है, जालसाज उसके फोन को हैक कर लेते हैं और कुछ समय के लिए उसे अपने नियंत्रण में ले लेते हैं और उसके खाते से पैसे निकाल लेते हैं।
सूत्रों के अनुसार, कई निवासियों को उनके मोबाइल फोन पर ई-चालान के लिंक के साथ ऐसे संदिग्ध संदेश प्राप्त हुए हैं। रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने बताया, “साइबर जालसाज अब ई-चालान भुगतान के बढ़ते चलन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। वे ई-चालान का हूबहू फर्जी संदेश तैयार करते हैं और संदेश के नीचे एक फर्जी लिंक भेजकर वाहन मालिक से भुगतान करने के लिए कहते हैं।”
उन्होंने लोगों से अपील की कि “मोबाइल फोन पर ई-चालान का मैसेज आने पर भुगतान करने में जल्दबाजी न करें। मैसेज को ठीक से जांच लें, नहीं तो जल्दबाजी में आपका बैंक खाता खाली हो सकता है।”
एसपी ने आगे बताया कि ई-चालान के असली मैसेज में वाहन का इंजन, चेसिस नंबर और अन्य जानकारी होती है, जबकि ई-चालान के फर्जी मैसेज में ऐसी कोई जानकारी नहीं होती। उन्होंने लोगों से कहा, “ई-चालान का मैसेज कभी भी किसी सेल फोन नंबर से नहीं आता है। जिस वेबसाइट से आप चालान भर रहे हैं, उसका लिंक https से शुरू होकर gov.in पर खत्म होना चाहिए। ई-चालान का मैसेज आने पर आप mparivahan वेबसाइट पर जाकर भी इसकी जांच कर सकते हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि असली चालान लिंक में हमेशा सरकारी साइट का पता होता है- https://echallan.parivahan.gov.in/ लेकिन जालसाज चालाकी से उसी सरकारी संदेश में लिंक में थोड़ा बदलाव कर देते हैं, जिसे थोड़ी सावधानी से पहचाना जा सकता है। जालसाज की ओर से आने वाले संदेश में https://echallan.parivahan.in/ का लिंक होता है। उन्होंने कहा कि आम जनता को यह ध्यान रखना चाहिए कि असली लिंक में gov.in जरूर होगा।
बिजारनिया ने कहा कि धोखाधड़ी होने पर पीड़ित को तुरन्त राष्ट्रीय साइबर शिकायत पोर्टल नम्बर 1930 पर कॉल करना चाहिए तथा www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द 1930, 112 डायल या शिकायत पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाएं तथा इसके अलावा नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर साइबर हेल्प डेस्क या साइबर पुलिस स्टेशन रोहतक से भी मदद लें।