N1Live Himachal डीसी: लागत वृद्धि से बचने के लिए वन मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे मामलों में तेजी लाएं
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डीसी: लागत वृद्धि से बचने के लिए वन मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे मामलों में तेजी लाएं

DC: Expedit cases awaiting forest clearance to avoid cost overruns

शिमला, 23 अगस्त सरकारी परियोजनाओं के लिए वन मंजूरी में देरी से संबंधित 156 मामलों पर चर्चा के लिए आज यहां जिला वन संरक्षण अधिनियम समिति की बैठक आयोजित की गई।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि कुल 156 मामलों में से कुछ मामले उपयोगकर्ता एजेंसी, डीएफओ, नोडल अधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारी और राज्य सरकार के स्तर पर लंबित हैं।

इनमें शिमला शहरी मंडल के 63, शिमला ग्रामीण मंडल के 59, ठियोग के 12, रोहड़ू के नौ, रामपुर के सात, चौपाल के सात तथा कोटगढ़ के सात मामले शामिल हैं।उन्होंने कहा कि एफसीए से संबंधित लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

शिमला रोपवे मामले पर चर्चा करते हुए डीसी ने कहा कि यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है और इसके निर्माण से शिमला को बहुत लाभ होगा। उन्होंने कहा कि शिमला रोपवे के तहत शहर में 13 स्टेशन स्थापित किए जाने हैं, इसलिए वन संरक्षण अधिनियम के तहत स्वीकृतियां शीघ्रता से प्राप्त करना आवश्यक है।

उन्होंने सभी अधिकारियों से वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर कार्य करने का आग्रह किया ताकि मामलों का शीघ्र निपटारा किया जा सके। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि एफसीए के जो मामले वापस लिए जाने हैं, उन्हें भी शीघ्र वापस लिया जाए ताकि पोर्टल पर मामले लंबित न रहें।

कश्यप ने कहा कि लंबित मामलों से जिले और राज्य के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “अगर कुछ मामले संभव नहीं लगते हैं, तो उनकी गहन जांच कर आगे की कार्रवाई के लिए निर्णय लें।”

उन्होंने सभी संबंधित विभागों को इस संबंध में आंतरिक बैठकें आयोजित करने और सभी मामलों की वास्तविक स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अगली बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी, जिसमें लंबित मामलों से निपटने के लिए भविष्य की कार्रवाई तय की जानी चाहिए क्योंकि इसमें भारी लागत वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।

रोपवे की मंजूरी आवश्यक शिमला रोपवे के तहत शहर में 13 स्टेशन स्थापित किए जाने थे, इसलिए वन संरक्षण अधिनियम के तहत स्वीकृतियां शीघ्र प्राप्त करना आवश्यक था।

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