शिक्षा विभाग की घोर प्रशासनिक चूक के तहत, आगामी जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के लिए सेवानिवृत्त और यहां तक कि मृत शिक्षकों को भी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। सेवारत शिक्षकों की सूची को अपडेट किए बिना ही विभाग ने लुधियाना क्षेत्र में एक मृत और चार सेवानिवृत्त शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर लगा दिया। पटियाला क्षेत्र में एक दिवंगत शिक्षक और एक सेवानिवृत्त शिक्षक को यह कार्य सौंपा गया। दोनों को अनिवार्य चुनाव पूर्वाभ्यास में अनुपस्थित रहने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और संभावित पुलिस कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई।
शिक्षक संघों ने विभाग की इस चूक की कड़ी निंदा करते हुए इसे “गैरजिम्मेदाराना हरकत” बताया है। लुधियाना में जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि सेवामुक्त शिक्षकों के बारे में विभाग को सूचित करना विद्यालय प्रमुखों और प्रधानाचार्यों की जिम्मेदारी है। अपना गुस्सा जाहिर करते हुए शिक्षकों ने पटियाला में अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधि ने कहा, “गुरदर्शन कौर, जिनका निधन सरकारी स्कूल सांगोवाल में तैनाती के दौरान हुआ, उन्हें हैबोवाल और माछीवाड़ा क्षेत्रों के सेवानिवृत्त शिक्षकों अशोक कुमारी, मक्खन सिंह, हरजीत सिंह और अमरजीत सिंह के साथ चुनाव ड्यूटी सौंपी गई थी।” पटियाला जोन में, अधिकारियों द्वारा जारी नवीनतम सूची में शिक्षिका नीतू कौशल और गुरमीत कौर को चुनाव ड्यूटी सौंपी गई थी। हालांकि, नीतू का इस साल 9 जनवरी को निधन हो गया, जबकि गुरमीत कौर अप्रैल में सेवानिवृत्त हो गईं।
गुरमीत कौर ने बताया कि उन्हें 8 दिसंबर को नाभा रोड स्थित सरकारी आईटीआई में ड्यूटी रिहर्सल में शामिल होने का निर्देश देने वाला पत्र पाकर गहरा सदमा लगा। जब वह उपस्थित नहीं हुईं, तो उन्हें एक और सख्त पत्र जारी किया गया, जिसमें उन्हें चुनाव अधिकारी के समक्ष पेश होकर अपनी अनुपस्थिति का स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया और कानूनी व पुलिस कार्रवाई की चेतावनी दी गई। उन्होंने कहा, “मैं आठ महीने पहले सेवानिवृत्त हुई हूं, फिर भी मुझे ये चेतावनी पत्र भेजे जा रहे हैं, जिनसे मुझे मानसिक पीड़ा हो रही है।”
लोकतांत्रिक शिक्षक मोर्चा के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह सिद्धू ने कहा कि विभाग की कार्रवाई चर्चा का विषय बन गई है। सिद्धू ने कहा, “संबंधित अधिकारियों को सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों के रिकॉर्ड की जांच और अद्यतन करना चाहिए। उनकी पेंशन और सेवानिवृत्ति संबंधी जानकारी विभाग द्वारा रखी जाती है। इससे पता चलता है कि उन्होंने रिकॉर्ड को अद्यतन करने की जहमत नहीं उठाई और सेवानिवृत्त शिक्षकों को अभी भी हाजिरी लगाने के लिए कहा जा रहा है।”

